बेंगलुरु : गूगल की नजर अब भारत के उस सेक्टर पर है, जो लंबे समय से तकनीकी विकास से थोड़ा दूर रहा है—भारतीय कृषि। गूगल डीपमाइंड के प्रमुख रिसर्चर्स ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) खड़गपुर के साथ हाथ मिलाया है, ताकि खेती को स्मार्ट और वैज्ञानिक बनाया जा सके। इस साझेदारी के तहत खेती की हर गतिविधि जैसे बुवाई, सिंचाई, कटाई और फसल का प्रबंधन डिजिटल तरीके से मॉनिटर और ऑप्टिमाइज़ किया जाएगा।
गूगल और IIT खड़गपुर की अनोखी पहल
गूगल डीपमाइंड के वैज्ञानिकों और आईआईटी खड़गपुर के रिसर्चर्स ने ग्रामीण भारत में खेती की बेहतर समझ और तकनीकी हस्तक्षेप के लिए एक खास रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया है। इस रिसर्च में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से फसल उत्पादन के हर चरण की मॉनिटरिंग की जाएगी।
IIT Kharagpur : स्टडी के फोकस प्वाइंट :
- बुवाई का समय और तरीका
- फसल का ग्रोथ पैटर्न
- कटाई की सही टाइमिंग
- मौसम और मिट्टी के आधार पर सलाह एआई और डेटा एनालिसिस से होगी स्मार्ट फार्मिंग
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य किसानों को डाटा बेस्ड निर्णय लेने में मदद देना है। इसके तहत किसानों के मोबाइल फोन और टैबलेट्स पर ऐसे ऐप्स दिए जाएंगे जो उन्हें बताएंगे कि किस दिन बुवाई करनी चाहिए, कितना पानी देना है और कब कटाई करना उपयुक्त होगा।
IIT Kharagpur : प्रमुख तकनीकें
- सैटेलाइट इमेजिंग
- मशीन लर्निंग आधारित फसल विश्लेषण
- रीयल टाइम डेटा प्रोसेसिंग
- कस्टमाइज्ड सुझाव
आईआईटी-बॉम्बे का ‘ग्रामीण लैंड इंटीग्रेशन सिस्टम’
- इस पूरे मिशन को सपोर्ट करने के लिए आईआईटी बॉम्बे ने ‘ग्रामीण लैंड इंटीग्रेशन सिस्टम’ (Rural Land Integration System – RLIS) तैयार किया है। यह सिस्टम खेतों की स्थिति, मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम के पैटर्न को समझकर किसानों को स्मार्ट गाइडलाइन देगा।
- इसमें किसानों की जमीन की लोकेशन, प्रकार और पिछले सालों की पैदावार के हिसाब से सलाह दी जाएगी। यह तकनीक खेती में होने वाले रिस्क को भी काफी हद तक कम कर सकती है।
एआई रिसर्च से बेहतर होगा कृषि भविष्य
- गूगल डीपमाइंड के शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत जैसे देश में जहां जलवायु, मिट्टी और कृषि प्रणाली हर राज्य में अलग है, वहां AI आधारित डेटा एनालिसिस से खेती को कहीं अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सकता है।
- इस प्रोजेक्ट के जरिए किसान नई किस्म की फसलें, कम लागत में ज्यादा उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल कर सकेंगे। क्यों जरूरी है यह बदलाव
भारत की 60% से अधिक आबादी अब भी खेती पर निर्भर है, लेकिन किसानों को न तो मौसम की सटीक जानकारी मिलती है और न ही वैज्ञानिक सलाह। नतीजा, फसलें खराब होती हैं और आय घटती है। ऐसे में यह AI और टेक्नोलॉजी आधारित पहल न केवल उत्पादन बढ़ाएगी, बल्कि किसान की आमदनी और आत्मनिर्भरता में भी इजाफा करेगी।
भविष्य में क्या उम्मीद
- आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट देशभर के अलग-अलग राज्यों में लागू किया जा सकता है।
- खेती के अलावा मछली पालन, डेयरी और बागवानी जैसे क्षेत्रों में भी इस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है।
- इससे भारत Agri-Tech में वैश्विक लीडर बन सकता है।
आधुनिक तकनीक का नया अध्याय
गूगल और आईआईटी खड़गपुर की यह साझेदारी भारत की परंपरागत खेती में आधुनिक तकनीक का नया अध्याय शुरू करने जा रही है। इससे न सिर्फ किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता को भी बल मिलेगा।
यह पहल बताती है कि जब तकनीक और परंपरा का संगम होता है, तो परिणाम सिर्फ उत्पादन नहीं, बल्कि एक नई क्रांति होती है।