Dr. Brajesh Mishra/Ranchi (Jharkhand) : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांदा इलाके में मौजूद पन्ना (Emerald) का अवैध उत्खनन रोकने का दबाव राज्य सरकार पर बढ़ गया है। झारखंड हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने के बाद सरकार को न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखना है। विशेषज्ञों की मानें, तो अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम बढ़ाती है तो पूर्वी सिंहभूम के इस इलाके की तस्वीर बदल सकती है। इलाके को गुजरात के डायमंड उद्योग की तर्ज पर जेमस्टोन हब (Gemstone Hub) के रूप में विकसित किया जा सकता है।
… तो दुनिया की तमाम जेमस्टोन कम्पनियों की लग जाएगी कतार
इससे एक तरफ जहां राज्य के राजस्व (Revenue) में भारी वृद्धि का अनुमान है। वहीं, दूसरी तरफ इलाके में करीब 10 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार (Employment) मिल सकता है। इसके बावजूद गत 15 वर्ष में भी सरकार इस दिशा में नीतिगत निर्णय नहीं ले सकी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए तो दुनिया की तमाम जेमस्टोन (Gemstone) बेचने वाली कंपनियां पूर्वी सिंहभूम में अपना कटिंग और पॉलिशिंग प्लांट लगाने के लिए कतार में खड़ी होंगी।
क्या है पन्ना और कहां है भंडार?
एक्सपर्ट की मानें, तो पन्ना वास्तव में बेरिल नामक खनिज का एक रत्न-गुणवत्ता वाला हरे रंग का किस्म है। इस हरे रंग के लिए बेरिल के क्रिस्टल में क्रोमियम या वैनेडियम जैसी अशुद्धियां मौजूद होती हैं, जो इसके विशिष्ट रंग को प्रदान करती हैं। इसे अंग्रेजी में एमराल्ड तथा संस्कृत में मराकत या मरकतमणि कहते हैं। इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस की 2020 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में झारखंड के अलावा राजस्थान,ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में पन्ना के भंडार का पता चला है।
देश में कहीं भी वैध तरीके से नहीं बिकता पन्ना
हालांकि विशेषज्ञों का दावा है कि फिलहाल देश में कहीं भी वैध तरीके से पन्ना का उत्खनन नहीं हो रहा है। वहीं दुनिया की बात करें तो अफगानिस्तान, मेडागास्कर, पाकिस्तान, कोलंबिया, जाम्बिया, ज़िम्बाब्वे से इस रत्न की दुनियाभर में सप्लाई होती है। पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांदा में पन्ना भंडार का सर्वे करने वाले विशेषज्ञों का दावा है कि इसकी गुणवत्ता कोलंबिया के पन्ना जैसी है।
पूर्वी सिंहभूम में कैसे हुई खोज
विशेषज्ञों की मानें, तो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के गुड़ाबांदा इलाके में पन्ना की खोज एक प्राइवेट कंपनी ने की थी। कंपनी का नाम मां तारा इस्पात प्राइवेट लिमिटेड था। इसके डायरेक्टर का नाम राजन सिंह था।वर्ष 2010 में संबंधित कंपनी ने पहली बार प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया। इसके बाद वर्ष 2013 में झारखंड सरकार के खनिज और भू तत्व विभाग की ओर से इसका पहला सर्वे किया गया। इसके बाद इसकी जानकारी एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) को दी गई। वर्ष 2013 से 2016 के बीच जेएनएमडीसी और एनएमडीसी ने आपस में मिलकर लोक उपक्रम के रूप में जेएसएमडीसी की स्थापना की। इसके बाद केंद्र और राज्य की टीम ने मिलकर सर्वे किया। इस दौरान क्षेत्र में नक्सलियों का आतंक था। लिहाजा जेएसएमडीसी ने इस क्षेत्र में काम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद जेएनएमडीसी ने अपने स्तर से सर्वे किया।
आईबीएम नहीं होने और मूल्य के कारण रुकी ऑक्शन की प्रक्रिया
आईबीएम नहीं होने और मूल्य निर्धारित नहीं होने के कारण ऑक्शन की प्रक्रिया नहीं हुई। वर्ष 2021 में नियमों में बदलाव किया गया, जिसमें मूल्य निर्धारण के प्रावधान को हटा दिया गया। इसके बाद 2021 में ड्रोन के जरिए बड़े पैमाने पर सर्वे हुआ। इसमें दो ब्लॉक बनाए गए। पहला ब्लॉक 25 वर्ग किलोमीटर का गुडाबांदा में बनाया गया। वहीं दूसरा ब्लॉक 13 वर्ग किलोमीटर का बाहुटिया में बनाया गया। तब से लेकर अब तक इसके ऑक्शन पर निर्णय नहीं हुआ।
इन कंपनियों ने दिखाई थी रुचि
पन्ना ब्लॉक के प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस के लिए जेमफिल्ड, मानिकेश्वरी जेम, टीपी साहु, जवाहर लाल विग सहित जयपुर की कुल आठ कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई थी। यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
अवैध खनन में जा चुकी है जान
गुड़ाबांदा इलाके में पन्ना के अवैध खनन में लोगों की जान भी जा चुकी है। इलाके के लोगों ने बताया कि 2013 में इस अवैध खनन में चार लोगों की जान चली गई। इसके बाद सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया। बताया जाता है कि संरक्षित वन क्षेत्र होने के बावजूद ठरकुगोड़ा, गुड़ाबांदा, बाहुटिया, बरूपगुटी इलाके में कुछ जगहों पर अवैध खनन होने की सूचना है।