स्पेशल डेस्क, वाराणसी : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की एक और जीत हो (Gyanvapi case) गई है। वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है। साथ ही अदालत ने प्रशासन को सात दिन के अंदर बैरिकेडिंग की व्यवस्था करने का आदेश दिया है।
(Gyanvapi case)
वहीं, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि यह फैसला गलत है। पूर्व के आदेशों को ओवरलुक करते हुए यह आदेश दिया गया है। हम लोग इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
वाहिनी सेना ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
बता दें कि हिंदू संगठन हिंदू सिंह वाहिनी सेना ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। पत्र में ASI सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि काशी के ज्ञानवापी परिसर में नमाज पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। याचिका में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए गुहार लगाई गई है। पत्र में कहा गया है कि रिपोर्ट साफ-साफ कहती है कि वहां भव्य हिंदू मंदिर था। तस्वीरें और शिलालेख भी इसकी तस्दीक करते हैं।
इसके हिंदू मंदिर होने में अब कोई शक नहीं है, लिहाजा यहां होने वाली नमाज पर अविलंब रोक लगाई जानी चाहिए। अब काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से अब रोज यहां पर पूजा-अर्चना होगी। नवंबर 1993 तक यहां पर पूजा-पाठ होता रहता था। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 1993 में पूजा-पाठ रुकवा दिया था। अब फिर से पूजा-पाठ का अधिकार मिला है।
व्यास जी के तहखाने को कब्जे में लिया था
हिंदू पक्ष में फैसला सुनाने के बाद मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया। 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया था। एएसआई सर्वे के दौरान यहां पर साफ-सफाई हुई थी। व्यास तहखाने के कस्टोडियन वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को नियुक्त किया गया है।
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