सेंट्रल डेस्क। उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों का नाम रखने की जिम्मेदारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन की है। जिसमें उनके साथ इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पेसिफिक पैनल भी होती है। इस तूफान का नाम फेंगल सउदी अरब की ओर से प्रस्तावित की गई थी। कोई भी तूफान आने का अनुमान प्रसारित किए जाते समय उसका नाम भी सुनने को मिलता है। आखिर किसी तूफान का नाम कैसे रखा जाता है। कौन रखता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कैसे शुरू हुई नाम रखने की परंपरा
साल 2000 में ओमान के मसकट में आयोजित पैनल के 27वें सत्र के दौरान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर ट्रॉपिकल साइक्लोन को नाम देने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य इन संभावित विनाशकारी तूफानों के प्रति सार्वजनिक जागरूकता और प्रतिक्रिया में सुधार लाना था। इसके शुरूआत में 8 देशों ने योगदान दिया और पांच देश अन्य देश भी इस पैनल के सदस्य बन गए। इसमें भारत समेत श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और सउदी अरब के साथ-साथ हिंद महासागर के आसपास के देश भी शामिल हैं।
अरबी शब्द है फेंगल
फिलहाल आई फेंगल तूफान का नाम सउदी अरब की ओर से प्रस्तावित किया गया, जो कि एक अरबी शब्द है। यह नाम भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। इस नाम का अर्थ वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग के नामकरण पैनल में स्थित क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।
एक ही बार रखा जाता है किसी तूफान का नाम
नियम के अनुसार, एक बार जिस नाम का उपयोग तूफान के लिए हो जाता है, उसे भविष्य में दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। नाम हर बार मूल और विशिष्ट होना चाहिए। चक्रवातों के नाम तय करने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि इसका उच्चारण आसान हो, सरल हो औऱ सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हों। इससे किसी क्षेत्र या भाषा में कोई विवाद पैदा न हो या किसी का अपमान न हो।
हाल में ओडिशा में आया था ‘दाना’ तूफान
भारत की बात करें तो हाल के वर्षों में आए कई तूफान के नामकरण किए गए। हाल ही में ओडिशा में आए तूफान का नाम दाना रखा गया था। इस दाना तूफान को लेकर हाई अलर्ट था। हालांकि प्रशासनिक इंतजाम पर्याप्त किए गए। तटीय क्षेत्र से लोगों को समय रहते हटा लिया गया था। इस वजह से यह तूफान उतना विनाशकारी नहीं हुआ जितना होने का अनुमान लगाया जा रहा था।