प्रयागराज। Mahakumbh 2025: महाकुंभ में जुटी लाखों साधुओं की भीड़ में कई रहस्यमयी कहानियां है, जिसमें से नागा साध्वियों की दुनिया और उनकी तपस्या रहस्यों से भरी हुई है। नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन होती है।
साध्वी बनने से पहले क्या करना होता है
नागा साध्वी बनने के लिए इच्छुक महिला को कठोर तपस्या करनी होती है और साथ ही 10-15 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि नागा साधु बनने से पहले एक महिला को अपना पिंडदान करना होता है। इसका तात्पर्य अपने पुराने जीवन को त्यागने और नवीन रूप को ग्रहण करने से है। ईश्वर के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित होना इसका प्रतीक है। इसके बाद उनका मुंडन कर दिया जाता है, जिसका अर्थ है, मोह-माया के बंधन से ऊपर उठना। इसके बाद गंगा स्नान करती है, जिससे वो अध्यात्म को पूरी तरह से अपना लेती हैं।
महिला नागा साधु भी पुरूष नागा बाबा की भांति भगवान शिव की पूजा करती है। उनका जीवन कठिन साधनाओं और ब्रह्मचर्य के कठिन नियमों से बंधा होता है। भोजन स्वरूप वे केवल कंदमूल, फल, जड़ी-बूटी और पत्ते खाते है। वस्त्र के रूप में साध्वियां केसरिया रंग के वस्त्र धारण करती है, जो सिले हुए नहीं होते।
माहवारी के दिनों में नागा साध्वी कैसे करती है स्नान
इस दौरान महिला साध्वी गंगा में स्नान नहीं करती बल्कि वे गंगा जल का छिड़काव कर लेती है यानि गंगाजल का आचमन और अपने पूरे शरीर पर गंगाजल को छिड़क लेती है। इसे स्नान के समान ही पवित्र समझा जाता है। एक आम महिला से नागा साधु बनने के लिए न केवल कठिन तपस्या करनी होती है बल्कि अपने गुरु का विश्वास भी हासिल करना होता है।
साध्वियां अहले सुबह भगवान शिव का जाप मंत्र और शाम को भगवान दत्तात्रेय की आराधना करनी होती है। आम दिनों में ये साध्वियां समाज से अलग रहती है, केवल कुंभ जैसे आयोजनों में ही यह साध्वियां दुनिया के सामने आती है।