नई दिल्ली : भारत में मानसून आने के 3 महीने पहले ही मौसम विज्ञानियों ने यह भविष्यवाणी की है कि इस बार मानसून में अच्छी बारिश होने की संभावना है। इसका अन्य परिस्थितियों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। मानसून में अच्छी बारिश की यह संभावना ला-नीना की स्थिति को देखते हुए लगाई जा रही है।

मानसून से पहले न्यूट्रल हो जाएगा ला-नीना
मौसम विज्ञानियों ने यह संभावना जताई है कि मानसून में इस बार अच्छी बारिश होगी। अच्छी बारिश की वजह ला-नीना नामक चक्रवात का प्रभाव माना जा रहा है। ला-नीना का असर ना केवल गर्मी पर, बल्कि बारिश के मौसम पर भी पड़ेगा। ला-नीना समय के साथ धीरे-धीरे कमजोर होता जाएगा। इसके साथ ही मानसून के आगमन से पहले इसके न्यूट्रल होने की संभावना व्यक्त की गई है।
अप्रैल में जारी किया जाता है सटीक अनुमान
हर वर्ष अप्रैल माह में मौसम का सटीक पूर्वानुमान जारी किया जाता है। अल-नीनो की स्थिति के अनुसार, जून से सितंबर के बीच प्रशांत महासागर में अल-नीनो की स्थिति नहीं बनने के आसार है। यदि यह बनती भी है, तो 2 सितंबर के बाद बनेगी। अल-नीनो की स्थितियों को भारतीय महाद्वीप में मानसूनी बारिश के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
क्या होता है अल-नीनो और ला-नीना
अल-नीनो और ला-नीना उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में घटित होने वाले प्राकृतिक जलवायु पैटर्न के विपरीत चरण है। इन्हें ENSO के नाम से भी जाना जाता है। अल-नीनो और ला-नीना दोनों ही वैश्विक मौसम, जलवायु और महासागर की स्थितियों को प्रभावित करते हैं। अल-नीनो स्पेनिश भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘छोटा लड़का’।
जब समुद्र का तापमान असामान्य रूप से गर्म हो जाता है, तब उस स्थिति को अल-नीनो कहते हैं। इसे ENSO का गर्म चरण कहा जाता है वही ला-नीना भी स्पेनिश भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘छोटी लड़की’। यह समुद्र के तापमान के असामान्य रूप से ठंडा हो जाने की स्थिति को दर्शाता है। अल-नीनो की वजह से भारत में सूखापन और खराब मानसून आता है। वही इसके विपरीत ला-नीना के कारण भारत में मानसून के दौरान ज़्यादा बारिश होती है और सर्दियों में तापमान कम रहता है।