नई दिल्ली : भारत के आयकर कानून को सुधारने के उद्देश्य से तैयार किए गए आयकर विधेयक 2025 को गुरुवार को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। इस विधेयक में 536 धाराएं और 23 अध्याय हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 के 298 धाराओं से अधिक हैं। यह नया विधेयक पुराने आयकर कानून को छह दशकों बाद प्रतिस्थापित करेगा, जिसमें समय के साथ कई जटिलताएं आ गई थीं।
नए विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
आयकर विधेयक 2025 में ‘पिछले वर्ष’ की अवधारणा को हटा दिया गया है और इसे ‘कर वर्ष’ में बदल दिया गया है। इसके साथ ही मूल्यांकन वर्ष की व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई है, जिससे आयकर प्रक्रिया को अधिक सरल और व्यवस्थित बनाया गया है।
विधेयक के तहत सीबीडीटी को अब स्वतंत्र रूप से कर प्रशासन में बदलाव लाने और डिजिटल निगरानी प्रणाली को लागू करने का अधिकार मिलेगा। यह कदम प्रशासन की गति को बढ़ाने और कर विवादों के शीघ्र निपटारे के लिए लिया गया है।
आधिकारिक समीक्षा और सुझावों का विचार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही बजट 2025-26 में इस नए आयकर विधेयक को पेश करने का वादा किया था। उन्होंने आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था। इस समीक्षा में 6,500 सुझाव प्राप्त हुए थे, जिनमें भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी और अनुपालन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
सरल और डिजिटल कर प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
इस विधेयक के द्वारा आयकर विभाग को विधायी संशोधनों के बिना डिजिटल कर निगरानी प्रणाली को लागू करने का अधिकार मिल जाएगा। इससे करदाताओं को अधिक स्पष्टता मिलेगी और कर प्रशासन को अधिक गतिशील और पारदर्शी बनाया जाएगा।