सेंट्रल डेस्क। कर टैक्स रिबेट्स की गणना अब भी पूंजीगत लाभ से होने वाली आय के संदर्भ में समझने में जटिल बनी हुई है। यह समस्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025-26 के केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम की धारा 87A के तहत टैक्स रिबेट सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख करने के फैसले के बाद शुरू हुई है।
अगर मानक कटौती ₹75,000 को ध्यान में रखा जाए, तो असल में वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए रिबेट सीमा ₹12.75 लाख हो जाती है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि अगर किसी व्यक्ति की ₹12 लाख की सैलरी है और उसे पूंजीगत लाभ से ₹1 लाख का अतिरिक्त आय होती है तो क्या होगा?
“चूंकि पूंजीगत लाभ को विशेष दर वाली आय के रूप में क्लासिफाई किया जाता है, इसलिए यह रिबेट के लिए योग्य नहीं है। यह बात केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की आधिकारिक प्रवक्ता वी राजिता ने कही। हालांकि, कुल टैक्स लायबिलिटी पर इसका प्रभाव रिबेट के ढांचे पर निर्भर करेगा— क्या यह केवल सामान्य आय पर आधारित है या कुल कर योग्य आय पर।
CBDT की आधिकारिक प्रवक्ता वी राजिता ने बताया….
इसके जवाब में वी राजिता ने कहा कि अगर रिबेट केवल सामान्य आय पर लागू होता है, तो ₹12 लाख की सैलरी और अतिरिक्त पूंजीगत लाभ वाले व्यक्ति को सैलरी आय पर रिबेट मिलनी चाहिए। हालांकि, अगर पूंजीगत लाभ रिबेट की पात्रता निर्धारित करने में शामिल किया जाता है, तो ₹12 लाख से अधिक होने पर व्यक्ति रिबेट से अयोग्य हो सकता है। इस पहलू को स्पष्ट करने के लिए वित्त विधेयक की विशिष्ट भाषा अहम होगी।
लाभ कुल आय ₹7 लाख से ऊपर, तो रिबेट उपलब्ध नहीं
यह भ्रम मौजूदा नियमों के तहत भी समान रूप से मौजूद है। वर्तमान प्रावधानों के तहत, धारा 87A का रिबेट तब लागू होता है जब कुल आय (पूंजीगत लाभ सहित) ₹7 लाख से कम होती है और पूंजीगत लाभ को अलग से कर का भुगतान किया जाएगा। हालांकि, अगर पूंजीगत लाभ कुल आय को ₹7 लाख से ऊपर बढ़ा देता है, तो रिबेट उपलब्ध नहीं हो सकता है।
यहां तक कि बड़ी चार अकाउंटिंग फर्मों का भी इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार था। रिपोर्ट में एवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर और नेशनल लीडर-पीपल एडवाइजरी सर्विसेज सोनू अय्यर और पीडब्ल्यूसी पार्टनर संजय तोलिया का कहना था कि रिबेट सैलरी आय पर ही लागू होगा, जबकि पूंजीगत लाभ के लिए अलग से किया जाएगा।
हालांकि, डेलॉयट इंडिया पार्टनर आरती रावते और केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और ग्लोबल मोबिलिटी सर्विसेज एवं टैक्स हेड परिजाद सिरवाला का अलग मत था, उनका कहना था कि अगर कुल आय, जिसमें पूंजीगत लाभ भी शामिल है, ₹12 लाख से अधिक हो, तो रिबेट अमान्य हो जाएगा।