स्पेशल डेस्क। ‘सहारा’ के संस्थापक सुब्रत राय अब इस दुनिया में नहीं रहे। 75 वर्षीय सुब्रत राय ने 12 नवंबर को तबीयत खराब होने की शिकायत की थी, इसके बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती किया गया था। 14 नवंबर को उन्होंने अपनी अंतिम सांस मुंबई में लीं। एक छोटे से गांव से आने वाले सुब्रत रॉय उद्यमिता की दुनिया में एक सुपरहीरो बन कर निकले। अपनी कंपनी सहारा इंडिया को परचम तक पहुंचने वाले उद्यमप्रेमी सुब्रत रॉय का सफर बेहद चमकता हुआ रहा है। आइए उनके इस सफर पर नजर डालते हैं ।
प्रारंभिक शिक्षा और शहर की स्थापना
सुब्रत रॉय सहारा इंडिया परिवार के मैनेजिंग वर्कर और चेयरमैन का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के एरिया में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता की होली चाइल्ड स्कूल में की, जिसके बाद उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पूरी की थी।
1978 में गोरखपुर में शुरू की सहारा कम्पनी
सुब्रत राय का सबसे प्रसिद्ध और सफल उद्योगपति बनने का सफर 1978 में हुआ जब उन्होंने गोरखपुर में सहारा की स्थापना की। राय साहब ने सहारा की शुरुआत एक छोटे से फाइनेंस कंपनी के तौर पर की थी जो छोटे निवेशों के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था। साल 2004 आते-आते उन्होंने अपनी कंपनी को देश के सबसे सफल उद्यमी में से एक बना दिया था। वास्तव में वह भारत के कॉर्पोरेट वर्ल्ड के इतिहास में एक महान शख्सियतों में से एक थे।
बिस्कुट बेचने से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन बनाने तक सुब्रत रॉय का आद्यांत
सुब्रत रॉय का व्यापारिक सफर, बिस्कुट और नमकीन से शुरू होकर इलेक्ट्रिक वाहन बनाने तक का था। गोरखपुर में बिस्कुट और नमकीन की दुकान से शुरू हुए सफर में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
सुब्रत रॉय का सफलता से भरा सफर सिर्फ बिस्कुट और नमकीन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी नए मील के कदम उठाए। 2019 में, सुब्रत रॉय ने अपनी उच्चस्तरीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करते हुए ‘सहारा इवोल्स’ इलेक्ट्रिक वाहन ब्रांड का शुभारंभ किया।
सहारा ग्रुप ने रियल एस्टेट, मीडिया, हॉस्पिटैलिटी, और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कदम रखते हुए अपनी विस्तारक उपस्थिति का निर्माण किया। सुब्रत रॉय की प्रेरणा से ही हुई सहारा की बड़ी उड़ान।
इलेक्ट्रिक यातायात का नया दौर- सहारा इवोल्स की पहचान
सहारा इवोल्स ने इलेक्ट्रिक यातायात के क्षेत्र में एक नया मोड़ देने का प्रयास किया है। उनकी इलेक्ट्रिक वाहनों में नवीनतम प्रौद्योगिकी और स्टाइल को ध्यान में रखते हुए, सहारा इवोल्स की गाड़ियां विश्वस्तरीय शैली और स्वावलंबिता के साथ आती हैं।
सुब्रत रॉय का संदेश- सपनों को हकीकत में बदलना हम सभी की जिम्मेदारी
सुब्रत रॉय का यह सफलता का सफर एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है- सपनों को हकीकत में बदलने के लिए आगे बढ़ने की हम सभी की क्षमता है। उनकी कड़ी मेहनत, उद्यमिता, और सही दिशा में कदम बढ़ाने की भावना एक प्रेरणा स्रोत की भूमिका निभा रही है।
इस ब्रांड के माध्यम से, उन्होंने भारतीय बाजार में उच्च गुणवत्ता और प्रदर्शनी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की उपस्थिति बढ़ाने का लक्ष्य रखा था। निर्माण उपकरणों से भरी हुई भविष्यवाणी में एक महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ी है। इन वाहनों की बैटरी स्वप्निल जीवन की सबसे आवश्यक अंग हो सकती है, जिसमें शक्तिशाली और साहसी लीथियम-आयन बैटरीज शामिल हैं। सुब्रत रॉय का सुशासन और विनम्रता के साथ कारगर नेतृत्व इस क्षेत्र में भी उच्च प्रतिस्थापन बना रहा है।
उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक क्षेत्र में कई पहलुओं का समर्थन किया है। सुब्रत रॉय का मानना है कि व्यापारिक सफलता का सही मतलब यह नहीं है कि केवल लाभ हो, बल्कि समाज के साथी बनकर उसे भी यात्रा में शामिल करना है।
सहारा इंडिया परिवार का पतन
सहारा इंडिया परिवार का पतन एक विशाल वित्तीय और कानूनी मुद्दा बन गया था। 2010 में, भारत सरकार ने सहारा इंडिया परिवार के निवेश के संदर्भ में विवाद को लेकर कई कदम उठाए थे। सरकार ने इसे लेकर नोटिस जारी किए और विचार-सूची की गई थी कि सहारा इंडिया परिवार ने विभिन्न स्कीमों के माध्यम से बड़े पैम्बल से सामूहिक निवेश जमा किया था, जिसके खिलाफ उन्हें जवाब देना पड़ता है।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर उस पर स्वरूपित गुणसूचना की। यह सामूहिक निवेश की स्कीम में जमा किए गए पैसे की संख्या और उनका संवितरण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक जानकारी को सख्ती से निगरानी कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए सहारा इंडिया परिवार से बड़े पैनल को न्यायिक कमेटी के माध्यम से स्थापित करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख, सुब्रत रॉय, को नए संवितरण की अधिकारिता के साथ मुक्त किया।