उज्जैन : ‘एक देश, एक पंचांग’ पर विचार- विमर्श के लिए देश-विदेश के विद्वान और ज्योतिष, उज्जैन में इकट्ठा होंगे। उज्जैन में विक्रम उत्सव के अंतर्गत प्रस्तावित यह आयोजन 29 मार्च से होगा। यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन होगा। इसमें ‘एक देश, एक पंचांग’ विषय पर गहन मंथन किया जाएगा।
व्रत- त्योहार में रहती है, संशय की स्थिति
अब तक देश में सभी व्रत, उपवास या तीज- त्योहार, पंचांग में मतभेद के कारण दो दिन मनाए जा रहे हैं। इससे लोगों में संशय की स्थिति उत्पन्न होती है। इस समस्या के समाधान के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन में विक्रम उत्सव के अंतर्गत दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया गया है। यह सम्मेलन 29 मार्च से होगा और दो दिन यानी 29 मार्च और 30 मार्च तक संपन्न होगा।
विद्वान करेंगे अखंड पंचांग की रचना
उज्जैन में होने वाले इस ज्योतिष सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश के विद्वान, ज्योतिष, अंकगणित के ज्ञाता, हस्तरेखा विशेषज्ञ, पंचांग निर्माता, और आचार्य, आदि सम्मिलित होंगे। यहां ‘एक देश, एक पंचांग’ विषय पर गहनता से विचार- विमर्श किया जाएगा। इस सम्मेलन में सूर्य और चंद्र की गति की गणना के अनुसार, अखंड पंचांग की रचना विद्वानों द्वारा की जाएगी।
इस आधार पर निर्मित होगा पंचांग
विद्वान पंचांग के पांच अंग, वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर ‘एक देश, एक पंचांग’ को पूर्ण रूप प्रदान करेंगे। 29 और 30 मार्च को उज्जैन में होने वाले इस सम्मेलन में पाकिस्तान और नेपाल से भी विद्वान, ज्योतिषी और पंचांग निर्माता शामिल होंगे। वही देश के अलग-अलग राज्यों, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा आदि के विद्वानों ने भी इस सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हामी भरी है।
पहले भी हो चुका है इस विषय पर विचार- विमर्श
ऐसा नहीं है कि पंचांग में अलग-अलग उत्सव, त्योहार और व्रत, आदि को लेकर इससे पहले विद्वानों की चर्चा नहीं हुई है। इससे पहले भी उज्जैन में ही वर्ष 2019, 2021 और 2023 में भी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं। पंचांग की भिन्नता के विषय पर मंथन हो चुका है। इन सभी सम्मेलनों में विद्वान और ज्योतिष आचार्य एकमत नहीं हो पाए थे। इसके अलावा काशी में भी पंचांग में एक तिथि को लेकर विचार- विमर्श हो चुका है। इस बार उज्जैन में यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि सभी विद्वान ‘एक देश, एक पंचांग’ के लिए एकमत होंगे। इस सम्मेलन का उद्देश्य विक्रम संवत को भारत का राष्ट्रीय संवत बनाने का है।
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