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NR Narayana Murthy : इंफोसिस के संस्थापक ने कहा-भारत में इस तरह दूर हो सकती है गरीबी

by Birendra Ojha
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नई दिल्ली : इंफोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने यह कहा कि फ्री-बिज, गरीबी खत्म करने का तरीका नहीं है, बल्कि नौकरी है। यह बातें नारायण मूर्ति ने बुधवार को टाइकाॅन मुंबई- 2025 कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में AI को लेकर बढ़ा-चढ़ा कर दावे किए जा रहे हैं। AI का जिक्र करना फैशन बन गया है।

बेकार है AI की हाइप

एन नारायण मूर्ति ने बुधवार को टाइकाॅन मुंबई- 2025 के कार्यक्रम में उद्यमियों और कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए यह कहा कि फ्री-बिज यानी मुफ्त के सामान देने से गरीबी खत्म नहीं होगी, बल्कि गरीबी खत्म करने का सही तरीका नौकरी देना है। जानकारी हो कि वर्तमान समय में मुफ्त रेवड़ी पर चारों तरफ बहस छिड़ी हुई है। उन्होंने कारोबार निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का आह्नान भी किया। इसके साथ ही नारायण मूर्ति ने यह भी कहा कि भारत में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को लेकर बढ़ा- चढ़ा कर दावे पेश किए जा रहे हैं। AI की हाइप बेकार है।

AI के सही उपयोग से हो सकता रोजगार सृजन

AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के संबंध में इंफोसिस के सह- संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने यह कहा कि AI की हाइप बेकार है। इसकी अपेक्षा वास्तविक समाधान इनोवेशन (नवाचार) को बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि AI का सही उपयोग किया जाए, तो इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है। वही ऑटोनॉमस व्हीकल्स, हेल्थ केयर और अन्य क्षेत्रों में AI के सही उपयोग से नए रोजगार का सृजन किया जा सकता है। नारायण मूर्ति ने कहा कि वर्तमान समय में AI का जिक्र फैशन बन चुका है।

राज्यों में मुफ्त बिजली का दिया उदाहरण

नारायण मूर्ति के अनुसार कोई भी देश जो फ्री-बिज (मुफ्त उपहार) देता है, वह कभी भी सफल नहीं रहा। रेवड़ी देकर गरीबी की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है। यदि गरीबी की समस्या का समाधान करना है, तो लोगों को रोजगार देना होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीति या शासन के विषय में अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन नीतिगत ढांचे के दृष्टिकोण से उन्होंने कुछ प्रस्ताव रखे हैं।

नारायण मूर्ति ने लाभ की अपेक्षा स्थिति में सुधार का आकलन करने की सिफारिश भी की। मुफ्त रेवड़ी के विषय में, उन्होंने प्रतिमाह 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली का उदाहरण देते हुए राज्यों को यह सुझाव दिया कि जिन घरों में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाती है, ऐसे घरों में राज्यों को 6 महीने के अंत में एक सर्वे करना चाहिए, जिससे यह पता लगाया जा सके कि उस घर में बच्चे अधिक पढ़ रहे हैं या नहीं।


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