रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने फुटपाथ दुकानदारों को सड़क से हटाने के पूर्व उनके पुनर्वास के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला पूरे राज्य में स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण व स्ट्रीट वेंडिंग विनियमन) अधिनियम-2014 के प्रावधानों को लागू करने से संबंधित है।

नगर निगम को बनाएगा प्रतिवादी
खंडपीठ ने प्रार्थियों के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे राज्य के सभी नगर निगमों और अधिसूचित क्षेत्रों को इस मामले में प्रतिवादी बनाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि फुटपाथ दुकानदारों के अधिकारों का संरक्षण किया जाए और उन्हें उचित पुनर्वास की सुविधा मिले।
रांची नगर निगम का अनुपालन
सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम के जवाब पर भी ध्यान दिया गया। कोर्ट ने कहा कि रांची नगर निगम ने स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम-2014 के प्रावधानों का पर्याप्त अनुपालन किया है। रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने मामले की पैरवी की और कोर्ट को बताया कि फुटपाथ दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं के लिए विभिन्न स्थानों पर वेंडिंग जोन चिह्नित किए गए हैं।
मार्केट स्थलों की पहचान
रांची नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि लालपुर-कोकर मार्ग में डिस्टलरी पुल के पास, रातू रोड पर नागा बाबा खटाल और कचहरी रोड में अटल वेंडर मार्केट जैसे स्थानों पर फुटपाथ दुकानदारों के लिए मार्केट स्थलों की पहचान की गई है। इन प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया है कि फुटपाथ विक्रेता सुरक्षित और सुविधाजनक स्थानों पर अपनी आजीविका जारी रख सकें।
कोर्ट का संदेश
इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 को होगी। पूर्व की सुनवाई में, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि सिर्फ सब्जी विक्रेताओं और फुटपाथ दुकानदारों को सड़क किनारे से हटाना पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने रांची नगर निगम को निर्देश दिया था कि वे इन विक्रेताओं के लिए उचित स्थान चिह्नित करें ताकि उनकी आजीविका का साधन सुरक्षित रहे।
बताया जा रहा है कि यह मामला फुटपाथ दुकानदारों की आजीविका और अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। कोर्ट की निगरानी में रांची नगर निगम द्वारा उठाए गए कदम इस दिशा में सकारात्मक हैं, जिससे फुटपाथ विक्रेताओं को उनकी जरूरत के अनुसार जगह मिल सके। यह सुनवाई न केवल उनके पुनर्वास के लिए, बल्कि पूरे राज्य में स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम-2014 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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