सेंट्रल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्पेस में एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है। इसरो ने अंतरिक्ष में लोबिया के बीजों को अंकुरित करने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इनमें से पत्तियां भी निकल आएंगी। बता दें कि इसके साथ ही इसरो ने कम ग्रेविटी में पौधों के विकास का अध्ययन करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। इस प्रयोग से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में पौधे कैसे उगते हैं।
बीजों को 30 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजा गया था
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। ट्वीट में लिखा गया था कि ‘अंतरिक्ष में जीवन शुरू होता है। वीएसएससी का CROPS (Compact research module for orbital plant studies) प्रयोग पीएसएलवी-C60 POEM-4 पर सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था। लोबिया के बीज चार दिन में अंकुरित हुए, अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इनमें से पत्ते भी निकल आएंगे। आपको बता दें कि इन लोबिया के बीजों को पीएसएलवी सी60 रॉकेट के साथ 30 दिसंबर को स्पेड एक्स मिशन के साथ भेजा गया था।
जानिए क्यों बड़ी है ये सफलता
CROPS का उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में पौधे कैसे उगते हैं, जो भविष्य के लंबे समय के संचालन में फसल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
8 लोबिया के बीज अंकुरित हुए
इस प्रयोग में नियंत्रित वातावरण में लोबिया के 8 बीज उगाए गए हैं, जिन पर एक्टिव थर्मल कंट्रोल है। इसके तहत अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पौधों के गुजरने की स्थितियों का अनुकरण करने का प्रयास किया गया है। यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष जीव विज्ञान अनुसंधान में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है। यहां के इस प्रयोग की सफलता अंतरिक्ष में पौधे उगाने की भारत की क्षमता को दर्शाती है।
एमिटी यूनिवर्सिटी अंतरिक्ष में पालक उगाने के मिशन को अंजाम दे रही है। विश्वविद्यालय की टीम एक साथ दो समान प्रयोग करेगी, एक पीओईएम -4 में उगाया जाएगा और दूसरा नमूना विश्वविद्यालय में नियंत्रित वातावरण में उगाया जाएगा।
अंतरिक्ष में बढ़ते खाद्य पदार्थों के पीछे मुख्य उद्देश्य
अध्ययन के निष्कर्ष वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर और लंबे समय तक अंतरिक्ष मिशन के दौरान विभिन्न कृषि प्रभावों को समझने में मदद करेंगे। प्रयोग से विशेषज्ञों को यह समझने में मदद मिलेगी कि पौधे अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण और प्रकाश के अनुकूल कैसे होंगे।