श्री हरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : ISRO SSLV 3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को यहां अपने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान के जरिए भू-प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-08 और एसआर-ओ डेमोसैट उपग्रह को उनकी निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
इस यान के जरिए ले जाए गए पेलोड का इस्तेमाल उपग्रह आधारित निगरानी, आपदा और पर्यावरण निगरानी, आग लगने का पता लगाने और ज्वालामुखी गतिविधि प्रेक्षण जैसे कई कार्यों में किया जाएगा।
एलवी-डी3 की इस उड़ान ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान का उपयोग करके प्रक्षेपण करने के उद्देश्य से उद्योग और इसरो की वाणिज्यिक शाखा ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ के बीच गंठजोड़ का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन के प्रक्षेपण से पूर्व साढ़े छह घंटे की उल्टी गिनती भारतीय समयानुसार गुरुवार देर रात दो बजकर 47 मिनट पर शुरू हुई। इसके समाप्त होते ही रॉकेट को पूर्व निर्धारित समयानुसार सुबह नौ बजकर 17 मिनट पर चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया, जिसने अपने मिशन के उद्देश्यों को पूरा किया।
इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘एलवी की तीसरी विकासात्मक उड़ान सफल रही। एलवी-डी3 ने ईओएस-08 को कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया। यह इसरो/डीओएस की एलवी विकास परियोजना के सफल समापन का प्रतीक है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करने के अलावा भारतीय उद्योग और एनएसआईएल इंडिया अब वाणिज्यिक मिशन के लिए एलवी का उत्पादन करेंगे।’’
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यहां मिशन नियंत्रण केंद्र में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ईओएस-08 उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ तीसरी विकासात्मक उड़ान एलवी-डी3 सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। रॉकेट ने अंतरिक्षयान को योजना के अनुसार निर्धारित कक्षा में एकदम सटीकता के साथ स्थापित कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि उपग्रह के प्रक्षेपण मापदंडों से पता चलता है कि सबकुछ (मिशन प्रक्षेपण) सटीक रहा और भू-प्रेक्षण उपग्रह एवं एसआर-ओ डेमोसैट को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है।
सोमनाथ ने एलवी-डी3 मिशन की टीम को बधाई देते हुए कहा कि एलवी की तीसरी विकासात्मक उड़ान पूरी हो गई है। हम एलवी प्रौद्योगिकियों को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में हैं और इसलिए यह एलवी और प्रक्षेपण यान के लिए एक बहुत अच्छी शुरुआत है।
मिशन निदेशक एसएस विनोद ने कहा कि हमने एलवी की यात्रा में आज एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। एलवी-डी3 की अंतिम विकासात्मक उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है और इसके साथ ही हम परिचालन चरण में आगे बढ़ रहे हैं। एलवी के अगस्त 2022 में पहले मिशन से वैज्ञानिकों को वांछित परिणाम नहीं मिले थे और प्रक्षेपण यान उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में स्थापित नहीं कर सका था, लेकिन फरवरी 2023 में एलवी-डी2-ईओएस-07 सफल रहा।
इसरो के इस नवीनतम मिशन के तहत यान को पहले 15 अगस्त को सुबह नौ बजकर 17 मिनट पर प्रक्षेपित करने की योजना थी, लेकिन बाद में इसे 16 अगस्त की सुबह नौ बजकर 19 मिनट पर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांच पैड से प्रक्षेपित करना तय हुआ। लगभग 10-12 मिनट की उड़ान के बाद प्राथमिक भू-प्रेक्षण उपग्रह, यान से सफलतापूर्वक अलग हो गया और कुछ ही मिनट में ‘स्पेस किड्ज़ इंडिया’ की ओर से विकसित 200 ग्राम वजन का एसआर-ओ- डेमोसैट उपग्रह भी अलग हो गया। इसी के साथ मिशन सफल रहा और मिशन नियंत्रण केंद्र में मौजूद वैज्ञानिकों ने इस सफल मिशन पर एक-दूसरे को बधाई दी। इसरो के अनुसार, इस मिशन के साथ ही एलवी रॉकेट की विकासात्मक उड़ानें पूरी हो गईं।
शुक्रवार के इस सफल मिशन से ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ उद्योग के उन सहयोगियों के लिए उपग्रहों का समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण शुरू कर सकेगा जो 500 किलोग्राम तक वजन वाले उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं (एलईओ) में या पृथ्वी से 500 किलोमीटर ऊपर तक प्रक्षेपित करने के इच्छुक हैं।
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