समस्तीपुर : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर कहा कि सूबे में अधिकारियों के बच्चे बिहार के सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ रहे हैं, आप ही बताइये कि कौन सा अधिकारी बीमार पड़ता है, तो सरकारी अस्पताल में जाता है। बिहार में जो शासन है, वो नेताओं का शासन है। उनके लिए अच्छा राज है, अगर लालू यादव की तबीयत खराब हुई, तो वह सिंगापुर के हॉस्पिटल में जाकर इलाज कराते हैं। बिहार के लोग अच्छा इलाज के लिए कहां जायेंगे, यह सरकार को बताना चाहिए।
राज्य के अस्पतालों में स्थिति बद से बदतर है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। सबकों अपनी पड़ी है, गरीबों की सेवा कैसे होगी इसपर किसी का ध्यान नहीं है। बिहार के समस्तीपुर में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 5 लाख से अधिक लोगों को किडनी की बीमारी से परेशान हैं। उनका सही इलाज नहीं हो पा रहा है। इसमें कितने लोगों में इतनी ताकत है कि वो सिंगापुर में इलाज कराने जा सकते हैं।
लालू यादव की चिकित्सा सबसे बड़े अस्पताल में होनी ही चाहिए, उसमें दिक्कत नहीं है। लेकिन, बिहार में सामान्य लोगों के इलाज के लिए भी तो अच्छी चिकित्सा की व्यवस्था राज्यभर के अस्पतालों में होनी चाहिए। वही हाल पढ़ाई-लिखाइ का भी है, जो लोग व्यवस्था को चला रहे हैं, उनके बच्चे न यहां पढ़ते हैं और ना ही उनके घर में जब कोई बीमार हो जाये तो इन सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते हैं।
तो ऐसे में व्यवस्था में क्या सुधार संभव है? ये लोग जनता को सिर्फ गुमराह करने में लगे हुए हैं। इन लोगों को सेवा करने व लोगों की परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है। उलटा आपका वोट लेकर खुद मौज और बाद में आपका खून चुसेंगे। ऐसे में मैं राज्य के लोगों को सावधान कर रहा हूं। अभी भी वक्त है आप लोग ऐसे नेताओं को पहचानीए और सही निर्णय कीजिए।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को अगर अपना इलाज कराना हो, तो वह भी दिल्ली के AIIMS अस्पताल में जाकर इलाज करायेंगे। बिहार की AIIMS पर जब उनका भरोसा नहीं है, तो बिहार की जनता का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर कैसे होगा ? यहीं हाल शिक्षा की भी है। इन लोगों का एक ही मोटो है। अपना विकास और लोगों का सिर्फ वोट लेने तक का साथ। क्या इस तरह बिहार आगे बनेगा और रोल मॉडल बनेगा। यह बिहार के लोग तय करें।