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Jamiat Ulema-E-Hind : जमीयत उलेमा-ए-हिंद का अहम फैसला : नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान के कार्यक्रमों से खुद को किया अलग

by Rakesh Pandey
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सहारनपुर : जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बड़ा और अहम कदम उठाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से खुद को अलग कर लिया है। मौलाना अरशद मदनी की अगुवाई वाला यह संगठन अब इन नेताओं के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा। इस फैसले का ऐलान शुक्रवार को संगठन ने एक बयान के माध्यम से किया।

मौलाना मदनी का आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि ये नेता खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए मौजूदा सरकार का समर्थन कर रहे हैं और मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे हुए हैं। मदनी का आरोप है कि इन नेताओं ने संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी की है।

मौलाना अरशद मदनी ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जमीयत अब इन नेताओं के कार्यक्रम, जैसे इफ्तार पार्टी, ईद मिलन और अन्य आयोजनों में शामिल नहीं होगी और इन नेताओं के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध-प्रदर्शन करेगी। उनका कहना है कि मुसलमानों को जानबूझकर हाशिए पर धकेला जा रहा है। धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है और दंगों के जरिए मुस्लिम समुदाय को परेशान किया जा रहा है। लेकिन नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेता इस पर चुप हैं। यह उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है।

वक्फ संशोधन विधेयक पर कड़ी प्रतिक्रिया

मौलाना मदनी ने वक्फ संशोधन विधेयक पर भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि इन नेताओं ने मुसलमानों के वोटों के दम पर सत्ता तक पहुंचने के बाद अब उन्हीं मुसलमानों को नजरअंदाज कर दिया है। यह उनके लिए एक बड़ा धोखा है। मदनी ने इस पूरे घटनाक्रम को मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज करने की साजिश बताया और इसके खिलाफ जमीयत के प्रतीकात्मक विरोध को अहम कदम माना।

इस फैसले के साथ ही मौलाना मदनी ने देश के सभी मुस्लिम संगठनों से अपील की है कि वे भी इस पहल में शामिल हों और इन नेताओं से दूरी बनाएं। उन्होंने कहा है कि यह समय एकजुट होने का है, ताकि मुसलमानों के अधिकारों का बचाव किया जा सके। मदनी ने यह भी कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का यह कदम न सिर्फ इन नेताओं के खिलाफ है, बल्कि यह अन्य मुस्लिम संगठनों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा, ताकि वे भी अपने हक के लिए खड़े हो सकें और ऐसी स्थिति में खामोश न रहें।

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