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Jharkhand Assembly : झारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मंत्री को घेरा, क्या है मामला-पढ़ें

by Anand Mishra
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रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एक नई हलचल देखने को मिली। सत्तापक्ष के विधायकों ने मंत्री योगेंद्र प्रसाद को घेरते हुए भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले पर सवाल उठाए। कांग्रेस के विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में शोर मचाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों में तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सहित अन्य अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।

विधायक प्रदीप यादव ने सवाल किया कि स्वर्णरखा परियोजना के अधीन शीर्ष कार्य प्रमंडल में फर्जी खाता खोलकर करोड़ों रुपये की फर्जी निकासी का मामला वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट में आया है। रांची और लोहरदगा में कार्यपालक अभियंता ने एल एंड टी कंपनी की जगह रोकड़पाल के खाते में बिल भुगतान कर बंदरबांट किया है। इस मामले में मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर समेत अन्य अभियंताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

इस पर प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि चलते सत्र में जांच कर सभा को अवगत कराया जायेगा। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि कार्यपालक अभियंता को बचाने की साजिश चल रही है। स्टीफन मरांडी का साथ देते हुए कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने कहा कि कार्रवाई को तीन तरीके से पेश किया जाता है। पहला फंसा दो, दूसरा धंसा दो और तीसरा दूध का दूध और पानी का पानी कर दो। उन्होंने कहा कि इस मामले में धंसा दो वाला काम हो रहा है। इसका मतलब है कि अधिकारी को बचाया जा रहा है। पूरे मामले को सिर्फ संतोष कुमार रोकड़पाल पर सिर्फ एफआईआर कर मामले को समाप्त नहीं किया जा सकता।

इस पर झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो और झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू ने प्रदीप यादव का पक्ष लेते हुए कहा कि विभागीय जांच का मतलब लीपापोती है। इसलिए प्राथमिकी होनी चाहिए, क्योंकि इस मामले में सिर्फ रोकड़पाल संतोष कुमार पर कार्रवाई की गयी है। जब वित्त विभाग ने सभी को दोषी पाया है तो कार्रवाई एक पर क्यों।

इस बीच पूरे मामले में चुटकी लेते हुए भाजपा विधायक नवीन जयसवाल ने कहा कि यदि सत्ता पक्ष के विधायकों को दोषियों पर कार्रवाई करने में इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है, तो विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कार्रवाई करने में क्या स्थिति होगी।

फिर प्रभारी मंत्री द्वारा एफआईआर नहीं कराने पर प्रदीप यादव ने कहा कि ऐसे में वह सदन में धरना पर बैठ जायेंगे। वहीं हेमलाल मुर्मू ने कहा कि बिना कार्यपालक अभियंता के रोकड़पाल गबन नहीं कर सकता है। प्रभारी मंत्री के रूख से लग रहा है कि वह कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी नीयत पर सवाल उठता है। देर तक चली बहस में प्रभारी मंत्री ने कहा कि सात दिन के भीतर कार्रवाई कर अवगत कराया जायेगा।

इस पर प्रदीप यादव ने आसन से आग्रह किया कि इस प्रश्न को सात दिन के लिए स्थगित कर दिया जाये। जिसके बाद स्पीकर ने इस प्रश्न को सात दिन के लिए स्थगित कर दिया। अब इस प्रश्न पर सात दिन के बाद चर्चा होगी।

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