Home » Bio Diversity पर संस्कृत में पुस्तक प्रकाशित कर झारखंड ने रचा इतिहास

Bio Diversity पर संस्कृत में पुस्तक प्रकाशित कर झारखंड ने रचा इतिहास

देश में पहली बार किसी राज्य ने संस्कृत में प्रकाशित की जैव विविधता जागरूकता पुस्तक।

by Reeta Rai Sagar
Jharkhand biodiversity book launched in Sanskrit
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

रांची: झारखंड ने जैव विविधता जागरूकता अभियान को एक नई दिशा देते हुए इससे जुड़ी किताब को संस्कृत में प्रकाशित किया है। ऐसा करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है। इस किताब में जैव विविधता अधिनियम की जानकारी को संस्कृत भाषा में प्रकाशित कर सार्वजनिक किया गया है।

बायो डायवर्सिटी से जुड़ी इस पुस्तक का नाम है “झारखंडराज्ये जैवविविधता अधिनियमस्य क्रियान्वयनम्”,। इस किताब को डॉ आनंद कुमार ने संस्कृत में अनुवाद किया है। बता दें कि डॉ. आनंद, दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज में प्रोफेसर हैं।

संस्कृत अनुवाद से अभियान को मिलेगी नई पहचान

यह प्रकाशन झारखंड जैव विविधता बोर्ड (JBB) द्वारा चलाए जा रहे सार्वजनिक जागरूकता अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता अधिनियम को आम जनता तक पहुँचाना है। अब तक यह पुस्तक हिंदी समेत 12 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है, जिनमें मुंडारी, हो, संथाली, पंचपरगनिया, खोरठा और नागपुरी जैसी क्षेत्रीय भाषाएं भी शामिल हैं।

संस्कृत संस्करण को जोड़कर अब यह अभियान और अधिक भाषायी दायरे में पहुंच गया है, जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव दोनों बढ़ेंगे।

भाषा संचार का सबसे सशक्त माध्यम है

इस अवसर पर झारखंड जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) संजीव कुमार ने कहा— जन जागरूकता के लिए भाषा सबसे प्रभावशाली माध्यम है। जब हम स्थानीय भाषाओं में संदेश देते हैं, तो उसे समझना और आत्मसात करना आसान हो जाता है। आगे उन्होंने कहा कि संस्कृत को भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है, इसलिए इस भाषा में पुस्तक का प्रकाशन करना हमारी जैव विविधता जागरूकता मुहिम को और प्रभावी बनाएगा।

सांस्कृतिक जुड़ाव और पर्यावरण संरक्षण का संगम

इस पहल से यह साफ है कि झारखंड सरकार न केवल जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि इसे सांस्कृतिक और भाषाई दृष्टिकोण से भी जोड़कर जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। संस्कृत जैसे प्राचीन और सम्मानित भाषा में इस तरह की वैज्ञानिक जानकारी का प्रसार न केवल एक प्रयोग है, बल्कि यह संस्कृति और विज्ञान के समन्वय का भी एक नमूना है।

Also Read: Kolhan GE paper exam : जीई पेपर-2 के प्राप्तांक को लेकर पूर्व छात्रों में उलझन, विश्वविद्यालय ने दिया यह जवाब-पढ़ें

Related Articles

Leave a Comment