

Chaibasa Ho News: आदिवासी ‘हो समाज युवा महासभा’ ने ऐलान किया है कि जब तक ‘हो भाषा’ को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची (8th Schedule) में शामिल नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन और राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार जारी रहेंगे।

मांग और उद्देश्य
महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड ने कहा कि “हो भाषा हमारी पहचान है, इसे आठवीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक मान्यता दी जानी चाहिए।”

कार्यक्रम की रूपरेखा
- 31 अक्टूबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सेमिनार*
- 1 नवंबर को जंतर-मंतर, दिल्ली में धरना-प्रदर्शन
इस मौके पर भारत सरकार को मांग-पत्र भी सौंपा जाएगा।
घोषणा और एकजुटता
यह ऐलान रायरंगपुर (ओड़िशा) में हुएऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमिटी के पुनर्गठन कार्यक्रम में किया गया, जिसमें झारखंड समेत कई राज्यों से ‘हो समाज’ के प्रतिनिधि शामिल हुए।

महासभा ने सभी छात्रों और भाषा-प्रेमियों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचकर इस आंदोलन का हिस्सा बनें और ‘हो भाषा’ को 8th Schedule of Indian Constitution में शामिल कराने की मांग का समर्थन करें।
