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खूंटी के 17 वर्षीय तीरंदाज ने रचा इतिहास, भारत की तरफ से दुबई में खेलेंगे एशियन यूथ पैरा गेम्स

झोंगो की खेल यात्रा वर्ष 2023 में तब शुरू हुई, जब उनका नामांकन नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय, खूंटी में हुआ।

by Reeta Rai Sagar
Khunti archery competition
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Khunti : खूंटी के सुदूर गांव सिल्दा के 17 वर्षीय झोंगो पाहन ने भारतीय पैरा तीरंदाजी टीम में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। उनका चयन आगामी 7 से 14 दिसंबर तक दुबई में होने वाले एशियन यूथ पैरा गेम्स के लिए किया गया है। झोंगो खूंटी जिले के पहले अंतरराष्ट्रीय पैरा तीरंदाज बन गए हैं। साधारण किसान परिवार से आने वाले झोंगो ने आर्थिक तंगी और शारीरिक चुनौती को पीछे छोड़कर यह उपलब्धि हासिल की है।

झोंगो की खेल यात्रा वर्ष 2023 में तब शुरू हुई, जब उनका नामांकन नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय, खूंटी में हुआ। विद्यालय में प्रशिक्षक आशीष कुमार और दानिश अंसारी ने उन्हें बांस का धनुष देकर तीरंदाजी की शुरुआती ट्रेनिंग दी। सीमित संसाधनों के बावजूद जिला प्रशासन और उस समय के उपायुक्त शशि रंजन ने इस पहल को आगे बढ़ाया। इसी बीच सबसे बड़ी चुनौती आधुनिक तीरंदाजी उपकरणों की कीमत थी, जो लगभग तीन लाख रुपये होती है। ऐसे में प्रशिक्षक दानिश अंसारी ने स्वयं धनुष उपलब्ध कराया, जिससे झोंगो अभ्यास जारी रख सके।

जनवरी 2025 में झोंगो ने जयपुर पैरा नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का प्रमाण दिया। इसी प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन भारतीय टीम के लिए हुआ।

विद्यालय में वर्ष 2023 में तीरंदाजी केंद्र की स्थापना प्राध्यापिका प्रतिमा देवी, प्रशिक्षक आशीष कुमार और दानिश अंसारी के प्रयास से की गई थी। आज यह केंद्र नक्सल प्रभावित और वंचित परिवारों के 25 बच्चों के लिए नई उम्मीद बन गया है। इनमें से पांच बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं और दो का चयन भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में हुआ है।

भारतीय टीम में चयन पर झोंगो ने कहा,
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारतीय टीम का हिस्सा बनूंगा। कोच ने पहली बार धनुष दिया, तब ही सपना देखा था कि भारत के लिए खेलूंगा। मेरी दिव्यांगता मेरी कमजोरी नहीं, मेरी ताकत है। मेरा लक्ष्य दुबई में देश के लिए पदक जीतना है।”

भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झोंगो को बधाई देते हुए कहा कि झोंगो ने विपरीत परिस्थितियों और शारीरिक चुनौतियों को मात देकर असाधारण उपलब्धि हासिल की है और वह दुबई में देश का नाम रोशन करेंगे।

झोंगो पाहन की यह उपलब्धि संघर्ष, जज्बे और विश्वास की प्रेरक कहानी है। खूंटी का यह युवा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का तिरंगा लहराने के लिए तैयार है।

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