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Jharkhand News : बैल नहीं तो बेटों से ही खिंचवाए हल, झारखंड के दिव्यांग किसान की मजबूरी बनी मिसाल

by Mujtaba Haider Rizvi
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Jharkhand News: लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के चरहु गांव से एक मार्मिक और झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां रहने वाले दिव्यांग किसान लीला उरांव की मजबूरी और हौसले की कहानी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। वर्ष 2024 में आसमानी आफत ने उसकी जिंदगी को हिला कर रख दिया। खेतों में मेहनत करने वाले उसके बैल वज्रपात की चपेट में आकर मारे गए। वहीं, अचानक हुई बारिश ने फसलें भी पूरी तरह बर्बाद कर दीं।

लीला उरांव पहले से दिव्यांग हैं और अब आर्थिक संकट के चलते वे न तो बैल खरीद सके, न ही खेत जुतवाने के लिए ट्रैक्टर का खर्च उठा सके। ऐसी परिस्थिति में उन्होंने एक कठिन और दिल दहला देने वाला फैसला लिया। उन्होंने खेत जोतने के लिए अपने ही दोनों बेटों को हल में जोत दिया। ये दृश्य जिसने भी देखा, उसका दिल पसीज गया

लीला उरांव ने बताया कि उन्होंने कई जगह मदद की गुहार लगाई लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिली। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक किसी ने उसकी सुध नहीं ली। कृषि विभाग ने भी अब तक कोई संसाधन या आर्थिक सहायता नहीं दी। बेटे ही अब खेत जोतने का साधन बन गए हैं और पिता का हौसला ही उनका असली ईंधन है।

Jharkhand News : मुसीबत के बीच किसान ने नहीं मानी हार

दिव्यांगता और प्राकृतिक आपदाओं के बीच लीला उरांव ने हार नहीं मानी। वे फिर से खेती करने के लिए जुट गए हैं, चाहे साधन बचे हों या नहीं। अपने बेटों की मदद से खेत जोतकर उन्होंने भूख के खिलाफ लड़ाई का मोर्चा संभाला है। यह दृश्य न सिर्फ व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि एक किसान की जुझारू प्रवृत्ति और परिवार के प्रति उसकी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है।

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