रांची: राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, जहां सोमवार को रांची में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जोरदार झटका लगा है। बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य अंकिता वर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सदस्यता ग्रहण की। यह घटनाक्रम राज्य की बदलती राजनीतिक दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
JMM की सदस्यता लेने वाली महिलाओं की संख्या ने चौंकाया
बीजेपी की कद्दावर नेता और प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य अंकिता वर्मा का जेएमएम में शामिल होना राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने बीजेपी को छोड़कर जेएमएम का दामन थामा। इस अवसर पर जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने सभी महिलाओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
झारखंड की राजनीति में जेएमएम की पकड़ मजबूत
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जेएमएम ने महिलाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। यह घटनाक्रम आगामी विधानसभा चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इससे पहले भी जेएमएम ने विभिन्न जिलों में जनाधार बढ़ाने के लिए कई सामाजिक अभियानों की शुरुआत की थी, जिनका असर अब दिखने लगा है।
जेएमएम में शामिल होने के पीछे की वजहें
अंकिता वर्मा ने जेएमएम की सदस्यता लेने के बाद कहा कि पार्टी की नीतियों, महिला सशक्तिकरण की सोच और जनहित के मुद्दों पर कार्य करने की प्रतिबद्धता ने उन्हें प्रभावित किया। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड के विकास के लिए जेएमएम एकमात्र ऐसा दल है जो जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है।
बीजेपी के लिए यह झटका कितना गंभीर?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य का पार्टी छोड़ना न केवल संगठनात्मक रूप से बीजेपी के लिए बड़ा झटका है, बल्कि इससे पार्टी की महिला विंग में भी असंतोष का संकेत मिलता है। आगामी चुनावों को देखते हुए यह बदलाव बीजेपी की रणनीति पर प्रभाव डाल सकता है।
झारखंड की राजनीति में बढ़ती हलचल
रांची में हुई इस राजनीतिक हलचल ने राज्य की सत्ता के समीकरणों को प्रभावित करने की संभावना को जन्म दिया है। बीजेपी से जेएमएम में महिलाओं का यह सामूहिक पलायन, महिला वोट बैंक को साधने की होड़ और राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।