रांची, झारखंड : डोरंडा-सिरमटोली फ्लाइओवर के रैंप निर्माण के विरोध और आदिवासी अधिकारों की रक्षा को लेकर बुधवार को आदिवासी बचाओ मोर्चा के नेतृत्व में झारखंड बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है। राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में आदिवासी संगठनों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
सुबह से ही रांची के कांके, टाटीसिलवे जैसे इलाकों में सड़क पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया गया। वहीं, सिमडेगा के झूलन सिंह चौक पर एनएच-143 को जाम कर आदिवासी नेताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
क्यों हो रहा है झारखंड बंद
आदिवासी संगठनों की यह बंदी सिर्फ फ्लाइओवर रैंप के निर्माण के खिलाफ नहीं है, बल्कि उनके कई अहम मुद्दों से जुड़ी है। मंगलवार शाम राजधानी रांची में आदिवासी समुदाय ने मशाल जुलूस भी निकाला था, जिसमें बड़ी संख्या में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल रहीं।

आदिवासी संगठनों की प्रमुख मांगें
- डोरंडा-सिरमटोली फ्लाईओवर का रैंप निर्माण रद्द किया जाए, जिससे धार्मिक स्थल और क्षेत्रीय संतुलन प्रभावित न हो।
- पेसा कानून 1996 की नियमावली को राज्य में अविलंब लागू किया जाए।
- सरना धर्म को जनगणना फॉर्म में अलग कॉलम के रूप में मान्यता दी जाए।
- झारखंड में खड़िया भाषा के लिए प्लस टू विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति और पद सृजन किया जाए।
- नई शराब नीति को रद्द किया जाए।
- लैंड बैंक की नीति को खत्म किया जाए।
- आदिवासी जमीन के अवैध अधिग्रहण, सादा पट्टा और गैर-कानूनी खरीद-बिक्री पर रोक लगे।
आंदोलन की ताकत और सरकार से अपील
आदिवासी संगठनों का कहना है कि उनकी मांगें झारखंड की अस्मिता, पहचान और अस्तित्व से जुड़ी हुई हैं। इसलिए सरकार को बिना देर किए इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर सरकार जल्द ठोस कदम नहीं उठाती है, तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

