नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ तीन साल के लिए किए गए अकादमिक समझौता ज्ञापन (MoU) को राष्ट्रहित और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए स्थगित कर दिया है। यह निर्णय भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के विरोध में लिया गया है।
तुर्किये का पाकिस्तान को समर्थन बना कारण
भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई सैन्य कार्रवाई के बाद, तुर्किये ने पाकिस्तान को रक्षा उपकरण मुहैया कराए थे और आतंकी हमलों की निंदा करने के बजाय पाकिस्तान का समर्थन किया। इस कदम के विरोध में देशभर में #BoycottTurkey मुहिम चल रही है।
JNU का आधिकारिक बयान
JNU की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया:
“राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के बीच किया गया समझौता ज्ञापन अगली सूचना तक स्थगित किया जाता है।” यह MoU 3 फरवरी को तीन साल के लिए हस्ताक्षरित हुआ था, जिसका उद्देश्य छात्र और संकाय विनिमय, और संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देना था।
समझौता ज्ञापन में क्या था शामिल?
JNU और इनोनू विश्वविद्यालय के बीच हुए इस समझौते में निम्न बिंदु शामिल थे:
- छात्र विनिमय कार्यक्रम
- संकाय आदान-प्रदान
- संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं
- क्रॉस-कल्चरल रिसर्च सहयोग
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव, सीमा पार ड्रोन और मिसाइल हमलों और तुर्किये की पाकिस्तान समर्थक नीति को देखते हुए JNU ने यह निर्णय लिया है। भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, तुर्किये द्वारा पाकिस्तान के समर्थन से भारत-तुर्किये द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ सकता है।
देशभर में तुर्किये बहिष्कार की मांग तेज
- सोशल मीडिया पर चल रही #BoycottTurkey मुहिम
- ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स जैसे EaseMyTrip और Ixigo ने तुर्किये यात्रा से बचने की दी सलाह
- नागरिकों से तुर्किये के उत्पाद और पर्यटन सेवाओं के बहिष्कार की अपील
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