सेंट्रल डेस्क : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कुछ सीटों पर मुकाबला बेहद रोमांचक और कड़ा होने की संभावना है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण सीट दक्षिणी दिल्ली की कालकाजी है, जहां इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) की उम्मीदवार आतिशी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की तेजतर्रार नेता अलका लांबा के बीच मुकाबला होगा। इस सीट पर आतिशी की मजबूत पकड़ बनी हुई है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।
आतिशी का मुकाबला : BJP और कांग्रेस के कद्दावर नेता से
आतिशी, जो पिछले चुनाव में इस सीट से जीत हासिल कर चुकी थीं, इस बार फिर से अपनी कड़ी मेहनत और लोकप्रियता के साथ मैदान में हैं। वहीं, भाजपा ने इस बार रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया है। बिधूड़ी, जो तुगलकाबाद से तीन बार विधायक रहे हैं, एक कद्दावर नेता माने जाते हैं। उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में उनकी वापसी हुई है। बिधूड़ी का हाल ही में प्रियंका गांधी और आतिशी पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर माफी मांगना भी चर्चा का विषय रहा है।
वहीं, कांग्रेस ने अपनी महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा को इस सीट से मैदान में उतारा है। लांबा, जो पहले आम आदमी पार्टी का हिस्सा थीं, चांदनी चौक से विधायक भी रह चुकी हैं। उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस सीट पर कांग्रेस ने उन्हें एक प्रमुख चेहरा माना है। लांबा की राजनीतिक अनुभव और तेजतर्रार छवि के कारण इस मुकाबले में और भी ताजगी आ गई है।
पिछले चुनाव में आतिशी ने BJP को दी थी करारी शिकस्त
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी ने भाजपा के धर्मबीर को 11,393 वोटों से हराया था। आतिशी को 55,897 वोट मिले, जबकि धर्मबीर को 44,504 वोट मिले। कांग्रेस की उम्मीदवार शिवानी को इस सीट पर महज 4,965 वोट ही मिले थे। इस चुनाव में कुल 1,85,910 वोटर्स थे, जिनमें से 57 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। आतिशी की जीत ने इस सीट पर आम आदमी पार्टी की मजबूत स्थिति को और भी मजबूत कर दिया था।
कालकाजी विधानसभा सीट का इतिहास
कालकाजी विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास भी दिलचस्प है। 1993 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा की उम्मीदवार पूर्णिमा सेठी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1998 में कांग्रेस के सुभाष चोपड़ा ने इस सीट पर कब्जा किया और अगले दो चुनावों (2003 और 2008) में भी चोपड़ा ने यहां जीत हासिल की।
2013 के चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के हरमीत सिंह कालका ने इस सीट पर जीत हासिल की, लेकिन 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कालकाजी सीट पर अपनी जीत दर्ज की और तब से यह सीट AAP के पास है। 2020 में भी आतिशी ने इस सीट पर जीत हासिल कर पार्टी की पकड़ को बनाए रखा।
कालकाजी सीट का क्षेत्र और मतदाता
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण और पॉश इलाके शामिल हैं, जैसे महारानी बाग, कालकाजी, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, ईस्ट ऑफ कैलाश, नेहरू प्लेस, सुखदेव विहार आदि। इसके अलावा, गोविंदपुरी, गिरी नगर, ईश्वर नगर, श्रीनिवासपुरी, मसीहगढ़ जैसे रिहायशी इलाके भी इस क्षेत्र में आते हैं। यहां पंजाबी और सिख बहुल इलाकों की संख्या ज्यादा है, जिनमें अधिकांश वोटर विभाजन के बाद यहां बसने वाले परिवारों से आते हैं।
इस बार के चुनाव का महत्व
कालकाजी सीट पर इस बार का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक प्रमुख सीट मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी के लिए यह सीट अपनी राजनीतिक पकड़ को बनाए रखने की चुनौतीपूर्ण है, जबकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस सीट पर अपनी जीत की उम्मीदें पाले हुए हैं। भाजपा ने रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस ने अलका लांबा को उतारकर यह संकेत दिया है कि वे इस सीट को जीतने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। इस बार के चुनाव में तीनों प्रमुख उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है और कालकाजी की राजनीति के इतिहास को देखते हुए यह सीट दिल्ली के चुनावी परिप्रेक्ष्य में और भी महत्वपूर्ण हो गई है।