कर्नाटक। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मस्जिद में ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने के मामले में दो लोगों के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, अदालत ने कहा कि यह समझ में नहीं आता कि यह नारा किसी की धार्मिक भावनाओं को कैसे ठेस पहुंचा सकता है, खासकर तब, जब शिकायतकर्ता ने खुद यह स्वीकार किया हो, कि सभी हिंदू और मुसलमान इस इलाके में शांतिपूर्वक रह रहे हैं।
295A सहित कई धाराओं में दर्ज किया गया था मामला
पिछले महीने, न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने दक्षिण कन्नड़ जिले के दो व्यक्तियों, कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ दर्ज, आपराधिक मामला रद्द कर दिया है। स्थानीय पुलिस ने उन पर धारा 295A सहित कई अपराधों के आरोप लगाए थे, क्योंकि उन्होंने सितंबर में एक रात मस्जिद में प्रवेश किया और वहां “जय श्री राम” का नारा लगाया था।
क्या है धारा 295 ए
धारा 295 ए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित है जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का जानबूझकर अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना है।
“जय श्री राम” का नारा लगाना अपराध नहीं
दोनों व्यक्तियों के वकील ने तर्क दिया कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थान है, इसलिए आपराधिक अतिक्रमण का कोई मामला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि “जय श्री राम” का नारा लगाना आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध की परिभाषा को पूरा नहीं करता है।
राज्य सरकार ने इस तर्क पर अपनी असहमति जताई और दावा किया कि इस मामले को अधिक जांच की आवश्यकता है। हालांकि, अदालत ने यह फैसला सुनाया कि इस मामले की कार्रवाई ने सार्वजनिक व्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं किया।
अदालत को नहीं मिला आरोप का कोई आधार
अदालत ने कहा धारा 295 ए के तहत, यह अपराध के रूप में योग्य नहीं है यदि कोई कार्रवाई शांति या सार्वजनिक व्यवस्था को भंग नहीं करती है, तो उसे अपराध नहीं माना जाता है। चूंकि अदालत को आरोपों का कोई आधार नहीं मिला, इसलिए उसने कहा कि मामले को जारी रखना कानूनी प्रणाली का दुरुपयोग होगा और अन्याय को बढ़ावा देगा।
इस मामले में वकील सचिन बी.एस. ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया, जबकि एचसीजीपी सौम्या आर. ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया।