रांची। राजधानी रांची का कार्तिक उरांव फ्लाइओवर उद्घाटन से पहले ही चर्चा में था और अब इसके आम जनता के लिए खुलने के बाद भी यह विवादों का केंद्र बना हुआ है। यह फ्लाइओवर अब रील्स बनाने वालों और स्टंट करने वालों का अड्डा बन चुका है।
रांची पुलिस की सख्ती के बावजूद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही रील्स में युवा इस फ्लाइओवर पर पहुंचकर वीडियो बना रहे हैं। इन रील्स में कई बार असामाजिक और अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।
फ्लाइओवर के नाम को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी
हाल ही में वायरल एक रील में दो युवक कार्तिक उरांव फ्लाइओवर के नाम को लेकर अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए नजर आए। इस फ्लाइओवर का नाम आदिवासी समाज के प्रतिष्ठित नेता कार्तिक उरांव के नाम पर रखा गया है, जिससे आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया है।
JMM नेता दीपक मुंडा ने की कार्रवाई की मांग
इस वीडियो को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता दीपक कुमार मुंडा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इस मामले में परिवहन मंत्री दीपक बिरूवा, झारखंड पुलिस और रांची पुलिस को टैग कर त्वरित कार्रवाई की मांग की।
मंत्री दीपक बिरूवा ने दी प्रतिक्रिया, कहा- “सजा नहीं, संस्कार सिखाने की जरूरत”
मामले को संज्ञान में लेते हुए परिवहन मंत्री दीपक बिरूवा ने भी X पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि “बहुत पीड़ा होती है, जब युवा अपने संस्कारों को छोड़कर सस्ती लोकप्रियता के लिए किसी भी हद तक जाकर असामाजिक और अमर्यादित भाषा का उपयोग करते हैं। यह मैं एक मंत्री नहीं, एक पिता और सामाजिक व्यक्ति के नाते कह रहा हूं। इनको सजा नहीं, संस्कार सिखाने की जरूरत हैं।”
मंत्री ने रांची ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया कि इन युवकों को उनके बनाए गानों के लिए सम्मानित करें और उन्हें संस्कारों का महत्व समझाया जाए।
युवाओं को जागरूकता वाले कंटेंट बनाने की अपील
परिवहन मंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर रील्स और गाने बनाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे सकारात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित और प्रचारित करेगी।
पहले भी वायरल हुआ था स्टंट वीडियो, पुलिस ने की थी सख्त कार्रवाई
गौरतलब है कि कुछ समय पहले भी इसी फ्लाइओवर पर एक युवक ने बाइक से खतरनाक स्टंट किया था। वीडियो वायरल होते ही रांची पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उसकी बाइक जब्त कर ली थी। इसके बाद उसे सजा के तौर पर फ्लाइओवर पर पैदल परेड भी कराया गया था।
कार्तिक उरांव फ्लाइओवर सिर्फ एक कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि आदिवासी पहचान और सम्मान का प्रतीक है। इस तरह के वीडियो से ना सिर्फ समाज में गलत संदेश जाता है, बल्कि युवाओं की सोच पर भी सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मकता और जागरूकता फैलाने के लिए किया जाए।