Ranchi (Jharkhand) : झारखंड की राजधानी रांची स्थित न्यायिक अकादमी में रविवार को किशोर न्याय अधिनियम और इससे जुड़े कानूनों पर एक विशेष राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी, संवेदनशील और हर बच्चे के लिए न्याय सुनिश्चित करने वाली प्रणाली के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच एक सार्थक संवाद स्थापित करना था।
संवेदनशील और सशक्त समाज की नींव
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि एक संवेदनशील और सशक्त समाज की आधारशिला तभी रखी जा सकती है, जब हम प्रत्येक बच्चे को न्याय, संरक्षण और सम्मान प्रदान करें। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम को इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण और सशक्त कदम बताया। मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कानून न केवल बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करता है, बल्कि उन्हें पुनर्वास और पुनर्संवर्धन के माध्यम से एक गरिमामय जीवन की ओर बढ़ने में भी सहायता करता है।
राष्ट्रीय परामर्श बैठक में जुटे न्यायविद और अधिकारी
इस महत्वपूर्ण परामर्श बैठक में बाल न्यायालयों के न्यायाधीशों, प्रधान मजिस्ट्रेटों, किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के सदस्यों, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों, विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) के अधिकारियों, जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) के पदाधिकारियों सहित बाल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे अनेक महत्वपूर्ण हितधारकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम में झारखंड उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने किशोर न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता और इसमें सुधार की संभावनाओं पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने पर हुआ मंथन
कार्यक्रम के दौरान न्यायिक अकादमी के निदेशक राजेश शरण सिंह और संयुक्त निदेशक डॉ. संध्या मित्रा बारिक ने भी बाल संरक्षण प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में उपस्थित सभी विशेषज्ञों और अधिकारियों ने किशोर न्याय प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों, आवश्यक सुधारों और भविष्य की दिशा पर एक उपयोगी और विस्तृत संवाद किया। यह परामर्श बैठक बाल अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा और न्यायिक प्रणाली के उन्नयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक पहल साबित होगी।
यह उल्लेखनीय है कि भारत में किशोर न्याय अधिनियम बच्चों के संरक्षण और उनकी देखभाल के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा है। यह कानून विशेष रूप से उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो या तो कानून का उल्लंघन करने वाले हैं या जिन्हें विशेष देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है। यह अधिनियम ऐसे बच्चों को एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण प्रदान करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 
														
 
	