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Koderma Elephant News : ऐश पौंड से निकाले गए दोनों हाथी, गांवों में दहशत, वन विभाग अलर्ट

* Koderma Elephant Rescue : दोनों हाथी अब करियावां के घोघरवा जंगल में पहुंच चुके हैं, जिसके बाद वन विभाग ने करियावां गांव में अपनी क्विक रिस्पांस टीम (QRT) को तैनात कर दिया है...

by Anand Mishra
Koderma Elephant Rescue
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Koderma (Jharkhand) : झारखंड के कोडरमा जिले के थर्मल पावर प्लांट के निर्माणाधीन ऐश पौंड में फंसे दो विशालकाय हाथियों को आखिरकार वन विभाग की टीम ने सुरक्षित रूप से निकाल कर जंगल की ओर खदेड़ दिया है। शनिवार तड़के से ही ऐश पौंड में फंसे इन हाथियों को निकालने के लिए वन विभाग की टीम ने देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। वन विभाग के अनुसार, दोनों हाथी अब करियावां के घोघरवा जंगल में पहुंच चुके हैं, जिसके बाद वन विभाग ने करियावां गांव में अपनी क्विक रिस्पांस टीम (QRT) को तैनात कर दी है। यह टीम हाथियों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रख रही है।

पटाखे और ड्रोन की मदद से हुआ रेस्क्यू

वन क्षेत्र पदाधिकारी रविंद्र कुमार ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार शाम अंधेरा होने के बाद ऑपरेशन शुरू किया गया। हाथियों को डराने और ऐश पौंड से बाहर निकालने के लिए पटाखों और ड्रोन कैमरे की सहायता ली गई। काफी मशक्कत के बाद दोनों हाथियों को पौंड से बाहर निकालकर सफलतापूर्वक जंगल की दिशा में खदेड़ दिया गया।

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झुंड से बिछड़े थे दोनों हाथी

वन विभाग के अनुसार, ये दोनों हाथी लगभग 20-25 हाथियों के एक बड़े झुंड से अलग हो गए थे, जो 10 मार्च से इस इलाके में घूम रहा है। वन विभाग की अब यह योजना है कि इन दोनों हाथियों को कोडरमा वन क्षेत्र से बाहर निकालकर हजारीबाग वन क्षेत्र की ओर भेजा जाएगा, जहां इस समय हाथियों का उनका मूल झुंड विचरण कर रहा है।

घोघरवा जंगल में पहुंचने से गांवों में दहशत

दोनों हाथियों के घोघरवा जंगल में पहुंचने की खबर से करियावां गांव और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले डेढ़ से दो महीनों में हाथियों ने इलाके में काफी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि हाथियों ने अब तक चार ग्रामीणों को कुचलकर मार डाला है और सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद कर दी हैं, जिससे लोगों की आजीविका पर संकट आ गया है।

डीवीसी ने कराया था घोघरवा में वनीकरण

गौरतलब है कि घोघरवा जंगल, जहां अब ये हाथी पहुंचे हैं, को दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) द्वारा पावर प्लांट निर्माण के दौरान विकसित किया गया था। यहां लाखों पेड़ लगाए गए थे, जो अब हाथियों के लिए एक संभावित सुरक्षित आश्रय स्थल बन सकता है। हालांकि, ग्रामीणों को अभी भी हाथियों के आसपास रहने का डर सता रहा है और वे वन विभाग से सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।

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