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Kolhan University KU: नीड बेस्ड शिक्षकों को कार्य करने से रोके जाने के मामले में हाइकोर्ट ने लगाया स्टे

by Rakesh Pandey
Kolhan University KU
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जमशेदपुर/Kolhan University KU: कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से 37 आवश्यकता आधारित सहायक प्राध्यापकों को नोटिस जारी कर शैक्षणिक कार्य करने से मना कर दिया था। इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के नोटिस पर स्टे लगा दिया है। साथ ही अगले आदेश तक पूर्व की स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है।

बता दें कि पिछले 28 जून को कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से 37 आवश्यकता आधारित सहायक शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया था। इसके माध्यम से इन शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य करने से रोक दिया गया था।

विश्वविद्यालय के इस आदेश पर झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय समेत कुछ अन्य शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया था। इस पर विगत 26 जुलाई को विश्वविद्यालय उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्य रोकने से संबंधी नोटिस को स्थगित कर दिया गया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक रौशन की अदालत ने नोटिस को स्थगित करते हुए अगले आदेश तक पूर्व की स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है।

उच्च न्यायालय के इस स्थगन आदेश का स्वागत करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पांडेय समेत अन्य सदस्यों ने कहा कि विश्वविद्यालय ने नियम के विपरीत जाकर शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य से रोका था, जो न्यायालय के आदेश से साबित हो गया है। कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से गुड एकेडमिक करियर का हवाला देते हुए इन शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य करने से रोक दिया गया था। इस पर 9 शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी थी।

राकेश पांडेय ने कहा है कि विश्वविद्यालय और कागजात जांच कमेटी ने बिना कुछ जाने समझे अव्यवहारिक निर्णय लेते हुए 37 शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य करने से रोका था, जबकि इसका कारण ही नहीं बनता था। पिछले एक महीने से 37 शिक्षक समाजिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे थे।

न्यायालय के स्थगन आदेश से बाकी शैक्षणिक कार्य से बैठाए गए शिक्षकों में भी आशा की किरण जगी है। उन्होंने कहा है कि अब विश्वविद्यालय अधिकारी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए सभी शिक्षकों को पूर्व की भांति शैक्षणिक कार्य जारी रखने का आदेश जारी करें, ताकि न सिर्फ उन शिक्षकों, बल्कि हजारों विद्यार्थियों को भी पठन-पाठन में सुविधा हो।

 

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