बिहार/कोलकाता: बिहार में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर लगभग 45 हो गई है। इस मामले ने एक बार फिर से प्रदेश में 2016 से लागू शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस कानून के तहत शराब का सेवन और बिक्री दोनों ही अवैध हैं, और खाली बोतल मिलने पर भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। फिर भी, प्रदेश के विभिन्न जिलों से शराब की बरामदगी की खबरें लगातार आती रहती हैं।
उत्तर प्रदेश और कोलकाता से मंगाए गए थे केमिकल
हालिया घटनाएं छपरा, सीवान और गोपालगंज जिलों से सामने आई हैं, जहां कथित तौर पर जहरीली शराब पीने के कारण 45 लोगों की मौत हुई। जांच में पता चला है कि इस कांड के तार पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से जुड़े हैं। पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि जहरीली शराब बनाने के लिए उपयोग किए गए केमिकल उत्तर प्रदेश और कोलकाता से मंगाए गए थे, जिन्हें कुरियर के जरिए भेजा गया था।
गिरफ्तारी और जांच
पुलिस ने अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि तीन आरोपी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। सारण के पुलिस उप महानिरीक्षक नीलेश कुमार ने बताया कि 16 अक्टूबर से अब तक विभिन्न क्षेत्रों में नशीले पेय पदार्थों का सेवन करने से सारण में 7, सिवान में 28 और गोपालगंज में 2 लोगों की मृत्यु हुई है।
इस मामले के मुख्य आरोपी मंटू सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, जहरीली शराब बनाने में उपयोग किए गए केमिकल कोलकाता से 532 लीटर की मात्रा में कुरियर द्वारा सीवान के बसंतपुर भेजा गया था। यहां से इसे भगवानपुर, लकड़ी नवीगंज और मशरक के मंटू सिंह को वितरित किया गया, जिनसे यह छोटे-छोटे व्यवसायियों तक पहुंचा। इस मामले की जांच में सारण के डीआईजी के साथ-साथ सीडीपीओ मढौरा, मसरख और महाराजगंज की टीमें भी जुटी हुई हैं, और लगातार छापेमारी जारी है।
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