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Land for job मामले में लालू परिवार को मिली राहत, नौकरी के बदले लेते थे जमीन

लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में मार्च, 2023 में ट्रायल कोर्ट से लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को जमानत मिल गई थी। आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री औऱ राजद के नेता लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी है।

by Reeta Rai Sagar
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पटना। Land for Job case: जमीन के बदले नौकरी के कथित मनी लांड्रिंग मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री औऱ राजद के नेता लालू प्रसाद यादव के साथ-साथ दोनों बेटों तेज प्रताप यादव औऱ तेजस्वी यादव को जमानत मिल गई। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू के दोनों बेटों को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी है।

कोर्ट ने तीनों को इस शर्त पर जमानत दी है कि उन्हें 1-1 लाख रुपये का जमानत बॉन्ड भरना होगा। इस मामले की सुनवाई राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने कर रहे थे। अगली सुनवाई 23 व 24 अक्तूबर को होगी।

इससे पहले कोर्ट ने आरोपियों को 7 अक्तूबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। ईडी द्वारा दायर किए गए सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था औऱ आरोपियों को इस मामले में तलब किया गया था। आरोपियों की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह, एडवोकेट वरूण जैन, एडवोकेट नवीन कुमार, एडवोकेट अखिलेश सिंह और एडवोकेट सुमित सिंह ने पक्ष रखा।

Land for Job case: CBI ने 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था

मार्च, 2023 में ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी रबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को जमानत मिल गई थी। 10 अक्तूबर 2022 को सीबीआई ने इस मामले में 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में लालू प्रसाद, रबड़ी देवी औऱ उनकी बेटी मीसा भारती समेत अन्य पर आरोप है।

CBI ने दावा किया- नियुक्तियां रेलवे के निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं

मामला तब का है, जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे। उस दौरान उन्होंने रेलवे में नियुक्तियों के बदले अपने परिवार वालों को भूमि हस्तांतरित करवाई थी। सीबीआई ने इस मामले में दायर आरोप पत्र में दावा किया है कि ये नियुक्तियां रेलवे के निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं थी।

लैंड फॉर जॉब घोटाला
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है नौकरी के बदले जमीन। 2004 से 2009 के बीच 7 लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दी गई। तब यूपीए की सरकार थी औऱ लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। लालू पर आरोप यह लगा है कि जिनको नौकरी मिली, उन्होंने बेहद कम कीमत पर अफनी जमीनें लालू परिवार के सदस्यों के नाम ट्रांसफर कर दिया। इन लोगों को पहले सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया। नौकरी पाने वाले लोगों को जबलपुर, कोलकाता, जयपुर औऱ हाजीपुर जैसी जगहों में नियुक्त किया गया।

इन नियुक्तियों के लिए न ही कोई विज्ञापन निकाले गए और न ही कोई नोटिस जारी की गई। बहुत जल्दबाजी में ये नौकरियां बांटी गई। लालू पर यह भी आरोप लगा कि पश्चिम और मध्य रेलवे जोन ने कुछ उम्मीदवारों के आवेदन को बिना किसी पते के ही मंजूरी दे दी गई। जब जमीन का सौदा पक्का हो गया, तब इन्हें परमानेंट किया गया।

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