Lohardaga (Jharkhand) : झारखंड के लोहरदगा जिले में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा घटना कैरो थाना क्षेत्र के हनहट गांव में हुई, जहां मंगलवार की रात एक 30 वर्षीय युवक, सगीर अंसारी, को एक हाथी ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। इस हृदयविदारक घटना के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पुलिस और वन विभाग पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए लोहरदगा शहर के कचहरी मोड़ पर करीब एक घंटे तक चक्का जाम कर दिया, जिससे राउरकेला-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
सड़क जाम की सूचना मिलते ही अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अमित कुमार, अंचल अधिकारी आशुतोष और सदर थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को शांत कराकर जाम हटाने का प्रयास किया। मौके पर मौजूद आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि पिछले लगभग 20 दिनों से कैरो प्रखंड क्षेत्र में हाथियों का आतंक छाया हुआ है। ये हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, साथ ही घरों और अन्य संपत्तियों को भी बर्बाद कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र के लोग दहशत में जी रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि मृतक सगीर अंसारी मंगलवार की रात अपने खेत में सिंचाई करने के लिए घर से निकला था, तभी घात लगाए बैठे एक जंगली हाथी ने उस पर हमला कर दिया और उसे कुचलकर मार डाला। इस घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया है।
जाम कर रहे ग्रामीणों का आरोप था कि घटना की सूचना देने के बाद भी पुलिस ने पहुंचने में अत्यधिक देरी की। उन्होंने बताया कि रात में पुलिस अधिकारियों को फोन किया गया, तो उन्होंने जल्द पहुंचने का आश्वासन दिया, लेकिन कैरो थाना पुलिस घटनास्थल पर सुबह आठ बजे पहुंची, जिससे लोगों में और भी ज्यादा गुस्सा था। इसके अलावा, ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि घटना की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग का कोई भी कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा और हाथियों को सुरक्षित क्षेत्र में भेजने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने वन विभाग के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि फोन करने पर वन विभाग के कर्मियों का असंवेदनशील जवाब मिला। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि मृतक के शव को लेकर सदर अस्पताल आइए, साथ ही उसके माता-पिता को भी लाएं और 25 हजार रुपये का मुआवजा लेकर अंतिम संस्कार कर दें। इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना रवैये से ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया।
हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद ग्रामीणों ने सड़क जाम समाप्त कर दिया। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग हाथियों के आतंक को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाता है, तो वे दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।