लखनऊ : कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया है। इस हमले के बाद विभिन्न शहरों में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, भारतीय सेना ने पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। इस संवेदनशील माहौल के बीच लखनऊ यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर डॉ. मद्री काकोटी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि यह वीडियो भारत में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में ज्यादा लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इसे पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर खूब शेयर भी किया जा रहा है।
भारत में उन पर एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सुऱक्षा एजेंसी से तीखे सवाल किए थे। इसके बाद ही लखनऊ में उन पर एफआईआर दर्ज की गई।
डॉ. मद्री काकोटी कौन हैं?
डॉ. मद्री काकोटी असम में जन्मी एक प्रसिद्ध शिक्षाविद और राजनीतिक टिप्पणीकार हैं। वे सोशल मीडिया पर ‘डॉ. मेडुसा’ के नाम से अपने तीखे राजनीतिक व्यंग्य और आलोचनात्मक पोस्ट के लिए जानी जाती हैं। उनकी टिप्पणियां अक्सर सरकारों की नीतियों और फैसलों की कटु समीक्षा करती हैं। ताजा मामले में, उनके बयान के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी के कई छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और विश्वविद्यालय प्रशासन से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
डॉ. मद्री काकोटी का विवादास्पद बयान
डॉ. काकोटी ने अपने वायरल वीडियो में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारतीय सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,’किसी का धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है, लेकिन धर्म के आधार पर पीट-पीट कर हत्या करना, रोजगार से वंचित करना, आवास न देना या घरों को बुलडोज़ करना भी आतंकवाद ही है। असली आतंकवादियों की पहचान करें’।
यह बयान पाकिस्तान के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बड़े पैमाने पर साझा किया जा रहा है, जबकि भारत में इसने भारी विवाद को जन्म दिया है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रों सहित कई भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने डॉ. काकोटी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
मीडिया और सरकार की आलोचना
डॉ. मद्री काकोटी ने पहलगाम हमले के बाद सरकार और मीडिया के रवैये की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा,
’26 आम नागरिकों की जान चली गई। मीडिया टीआरपी के पीछे भागता रहा और सत्ता में बैठे लोगों से कोई गंभीर सवाल नहीं पूछा गया। आंतरिक सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक को नजरअंदाज कर दिया गया और गृह मंत्री पूरी तरह अनजान बने रहे’।
डॉ. काकोटी के इन बयानों ने देशभर में बहस छेड़ दी है। कई छात्र संगठन और राजनीतिक विश्लेषक उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं।