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हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी को गवर्नर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से रोका, कहा- बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं कि कुछ भी बोलें

by Rakesh Pandey
Case Filed Raj Bhavan Against Mamata Banerjee
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कोलकाता: mamta Banerjee vs C.V.Ananad Bose : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के बीच की तकरार बढ़ती जा रही है। वहीं इसी बीच मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी कर ममता बनर्जी और तीन अन्य को 14 अगस्त तक राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं कि कुछ भी बोलें।

इसके साथ ही राज्यपाल बोस ने ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार तथा पार्टी के नेता कुणाल घोष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। वहीं उन्होंने राजभवन की कथित घटनाओं के संबंध में उन्हें आगे कोई भी टिप्पणी करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश का भी अनुरोध किया था।

mamta Banerjee vs C.V.Ananad Bose : शपथ ग्रहण को लेकर हुआ था विवाद

दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर विवाद की शुरूआत हुई थी। ममता बनर्जी ने इसी पर कुछ टिप्पणियां की थीं, जिस पर राज्यपाल ने उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर किया है। वहीं अदालत ने बनर्जी और तीन अन्य को दो सप्ताह के भीतर विरोध में हलफनामा दाखिल करने और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर बोस को जवाब देने का निर्देश दिया।

वहीं, न्यायमूर्ति राव ने आदेश में कहा कि यदि इस स्तर पर अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है तो इससे प्रतिवादियों को वादी के खिलाफ अपमानजनक बयान जारी करने और वादी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की खुली छूट मिल जाएगी। इसके साथ ही न्यायमूर्ति राव ने निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 14 अगस्त को की जाएगी।

mamta Banerjee vs C.V.Ananad Bose : राज्यपाल बोस ने किया फैसले का स्वागत

सीएम ममता बनर्जी के वकील संजय बसु ने एक बयान में कहा है कि अदालत के आदेश को उच्च पीठ के समक्ष चुनौती दी जाएगी। वहीं इस मामले में सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई थी और अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। वहीं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत किया है। इसके साथ ही बोस ने ये भी कहा कि सत्य की जीत होगी। उन्होंने ये भी कहा कि मैंने ममता बनर्जी को अपना सम्मानित संवैधानिक सहयोगी मानते हुए उन्हें अधिकतम सम्मान देने की कोशिश की है। उन्होंने मेरे बारे में जो टिप्पणी की, उसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। मैं सभी से केवल यही अनुरोध करूंगा कि नफरत की राजनीति बंद करें। आपसी सम्मान बेहतर है। अगर संवैधानिक अधिकारियों- सीएम और राज्यपाल के बीच कटु संबंध हैं, तो लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि ‘उच्च न्यायालय का एक अंतरिम आदेश आया है। हमारे पास आदेश की प्रति नहीं है। सीएम ने राज्यपाल के खिलाफ कभी कोई अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। मैं न्यायालय का सम्मान करता हूं।

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