लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित बागी विधायक मनोज पांडेय जल्द ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। वे रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे। सपा ने सोमवार को राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन विधायकों को निष्कासित किया, जिनमें मनोज पांडेय का नाम प्रमुख है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उपचुनाव जीतने की स्थिति में उन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। यही कारण है कि वे दल-बदल कानून से मुक्त होने के बावजूद विधानसभा से इस्तीफा देने की तैयारी में हैं।
मनोज पांडेय सपा के चार बार के विधायक रह चुके हैं और दो बार पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर स्थानीय निकाय चुनाव से शुरू किया था। सपा में रहते हुए वे राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर भी कार्य कर चुके हैं। राज्यसभा चुनाव में बगावत करने के वक्त वे सपा विधायक दल के मुख्य सचेतक भी थे।
भाजपा की रणनीति के तहत उठाया गया कदम
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पांडेय के इस्तीफे की तैयारी पार्टी की एक रणनीति का हिस्सा है। चूंकि वे सपा के टिकट पर चुने गए थे, इसलिए भाजपा नेतृत्व नहीं चाहता कि बिना चुनाव लड़े उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए, जिससे गलत संदेश जाए। ठीक इसी तरह का उदाहरण 2022 में दारा सिंह चौहान के मामले में भी देखा गया था, जिन्होंने सपा से विधायक चुने जाने के बाद भाजपा में आकर मंत्री पद पाने से पहले इस्तीफा दिया था।


