प्रयागराज : महाकुंभ में एक और अनोखा दृश्य सामने आया है, जहां पायाहारी मौनी बाबा का तप और उनका छात्रों को सिविल सेवा की मुफ्त कोचिंग देने का तरीका आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ये बाबा पिछले 41 साल से मौन हैं और केवल चाय पर जीवित रहते हुए, सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं। बाबा का समर्पण और उनके अद्वितीय तरीके ने महाकुंभ में उन्हें खास बना दिया है।
कैसे करते हैं बाबा अपने मौन व्रत में छात्रों की मदद
पायाहारी मौनी बाबा ने 41 साल पहले मौन व्रत लिया और अन्न-जल का त्याग कर केवल दूध वाली चाय पर जीवन यापन करने का संकल्प लिया। इसके बावजूद उनकी ऊर्जा और शिक्षण के प्रति समर्पण देखते ही बनते हैं। वे छात्रों को सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए नोट्स तैयार करते हैं और उन्हें व्हाट्सएप के जरिए भेजते हैं। बिना बोले, लिखकर और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा देने वाला उनका तरीका छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
बाबा का जीवन और उनकी प्रेरणा
मौन रहने से बाबा का मानना है कि उनकी ऊर्जा का संचय होता है, जिसे वे दूसरों के कल्याण के लिए प्रयोग करते हैं। उनके एक छात्र ने बताया कि बाबा व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों के सवालों का जवाब देते हैं और कभी-कभी उन्हें कागज पर लिखकर समझाते हैं। इसके अलावा, बाबा का एक अनोखा शौक भी है — तेज रफ्तार बुलेट बाइक चलाना, जिससे वे प्रतापगढ़ का सफर केवल 45 मिनट में तय कर लेते हैं।
बाबा का परिवार शिक्षकों का परिवार है और उनके पिता एक प्राचार्य रहे थे। हालांकि, बाबा ने सांसारिक मोह छोड़कर सन्यास का मार्ग अपनाया और अब वे अपने जीवन को सेवा और भक्ति के लिए समर्पित कर चुके हैं।
महाकुंभ में पायाहारी बाबा का संदेश
बाबा का जीवन छात्रों के लिए एक प्रेरणा है। उनका मौन और उनके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा यह सिखाती है कि समर्पण, तप और सही मार्ग पर चलकर कोई भी व्यक्ति मुश्किलों के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। महाकुंभ में इस बार देशभर से लाखों लोग आकर बाबा के विचारों और उनके अनूठे शिक्षा देने के तरीके से प्रेरित हो रहे हैं।