नई दिल्ली: हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के खिलाफ उनके वकील ने सोमवार को अपील करने की बात कही है। चौकसी की गिरफ्तारी भारत सरकार की ओर से 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के संबंध में किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध के तहत की गई है।
चौकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा, “हम दो आधारों पर अपनी अपील दायर करेंगे– पहला, यह एक राजनीतिक मामला है और दूसरा, भारत में कारावास की मानवीय स्थिति को देखते हुए।”
मेहुल चौकसी की गिरफ़्तारी और स्वास्थ्य की दुहाई
वकील विजय अग्रवाल ने बताया कि “मेरे मुवक्किल मेहुल चौकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है और वर्तमान में वे हिरासत में हैं। हम जल्द ही एक अपील प्रक्रिया शुरू करेंगे और आग्रह करेंगे कि उन्हें जेल से बाहर निकाला जाए। इसका मुख्य आधार उनका स्वास्थ्य और कैंसर का इलाज है।” चौकसी के वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल को उच्च चिकित्सा देखभाल के लिए बेल्जियम आना पड़ा था और वे वहीं कैंसर का इलाज करा रहे हैं।
भारत द्वारा प्रत्यर्पण प्रक्रिया की स्थिति
विजय अग्रवाल ने कहा, “भारतीय एजेंसियों द्वारा कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है, यह एक कानूनी प्रक्रिया है। उनके खिलाफ 2018 से गैर-जमानती वारंट जारी हैं, जो प्रत्यर्पण के लिए आवश्यक है।” उन्होंने बताया कि इससे पहले डोमिनिका से चौकसी को लाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वहां की अदालत ने उन्हें इलाज के लिए एंटीगुआ में रहने की अनुमति दी थी।
13,500 करोड़ रुपये का PNB घोटाला क्या है?
मेहुल चौकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर 13,500 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन को धोखाधड़ी से हड़पने का आरोप है। जांच एजेंसियों के अनुसार, PNB की ब्रैडी हाउस शाखा, मुंबई से मार्च-अप्रैल 2017 के बीच 165 लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) और 58 फॉरन लेटर्स ऑफ क्रेडिट (FLCs) जारी किए गए थे। इन फर्जी LoUs और FLCs के आधार पर SBI मॉरीशस, इलाहाबाद बैंक हांगकांग, एक्सिस बैंक हांगकांग, बैंक ऑफ इंडिया एंटवर्प, केनरा बैंक मनामा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया फ्रैंकफर्ट जैसी विदेशी बैंकों ने ऋण दिया था। इन फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए चौकसी की कंपनियों को ऋण प्रदान किया गया, जिनकी भुगतान की कोई गारंटी नहीं थी और बैंक की केंद्रीय प्रणाली में इनके कोई रिकॉर्ड नहीं थे।
सार्वजनिक धन की चुकौती PNB को करनी पड़ी
CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के अनुसार, “चूंकि आरोपी कंपनियों ने इन फर्जी LoUs और FLCs के तहत लिए गए ऋण को चुकाया नहीं, इसलिए PNB को 6,344.97 करोड़ रुपये (USD 965.18 मिलियन) की राशि, जिसमें बकाया ब्याज भी शामिल है विदेशी बैंकों को चुकानी पड़ी।”


