हजारीबाग : भारतीय खनन उद्योग में एक नई क्रांति का आगाज़ होने जा रहा है। झारखंड के हजारीबाग जिले के गोंडुलपारा कोयला खदान (Gondulpura coal mine) में अब डोजर पुश माइनिंग तकनीक (Dozer push mining technology) से खनन कार्य शुरू होने वाला है। यह तकनीक न केवल खनन कार्यों में सुधार करेगी, बल्कि इसे और भी सुरक्षित, प्रभावी और लागत-कुशल बना देगी। इस तकनीक का सफल परीक्षण हाल ही में अदाणी नेचुरल रिसोर्सेस द्वारा परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खदान में किया गया है।
डोजर पुश माइनिंग तकनीक क्या है?
डोजर पुश माइनिंग तकनीक में एक स्वचालित (मानवरहित) ड्रिल मशीन का उपयोग किया जाता है, जिससे ड्रिल करके कास्ट ब्लास्टिंग की जाती है। इसके बाद, विशेष रूप से डिज़ाइन की गई डोजर मशीन द्वारा ब्लास्ट की गई सामग्री को सुरक्षित रूप से खदान के अन्य हिस्से में स्थानांतरित किया जाता है। यह तकनीक पारंपरिक ट्रक-शॉवल खनन से बेहतर मानी जा रही है, खासकर बरसात के मौसम में, जब सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं और सुरक्षा एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
खनन उद्योग में क्रांति
यह तकनीक खनन के कार्यों को बेहतर बनाने के साथ-साथ सुरक्षा मापदंडों को भी सुनिश्चित करती है। चूंकि इसमें ट्रकों का उपयोग नहीं होता, इसलिए यह न केवल खनन प्रक्रिया को सुगम बनाती है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी एक कदम आगे है। अदाणी नेचुरल रिसोर्सेस द्वारा इस तकनीक का परीक्षण भारत में खनन उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
सीएसआईआर और सीआईएमएफआर की सराहना
इस तकनीक के सफल परीक्षण के बाद, सीएसआईआर और सीआईएमएफआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एमपी रॉय ने इसे खनन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक भारत में ओपनकास्ट खनन कार्यों में क्रांति ला सकती है।
सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के योगदान
परीक्षण का नेतृत्व सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के निदेशक प्रोफेसर अरविंद कुमार मिश्रा ने किया, और इसमें डॉ. एमपी रॉय, डॉ. विवेक कुमार हिमांशु, आरएस यादव, सूरज कुमार, और डॉ. आशीष कुमार विश्वकर्मा का भी योगदान रहा। इस तकनीक के सफल परीक्षण से भारत को अत्याधुनिक खनन प्रौद्योगिकी में एक अग्रणी स्थान मिल सकता है।