खेल डेस्क : दिमित्री पेट्राटोस की शानदार गोल ने मोहन बगान को जीत दिला दी। मोहन बगान कोलकाता के क्लब है, जो उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। 23 साल के बाद यह खिताब जीतने में टीम सफल हुई है। रविवार को कोलकाता के सॉल्टलेक स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में चिर प्रतिद्वंद्वी ईस्ट बंगाल को 1-0 से हराया। मोहन बागान ने खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। 23 साल के बाद यह खिताब मोहन बगान को मिला है। यह पूरे टीम के लिए बड़ी उपलब्धि हैं। इस मैच में दिमित्री पेट्राटोस का शानदार प्रदर्शन रहा।
इससे पूर्व 2004 में दोनों टीमें भिड़ी थी
इससे पूर्व दोनों टीमें वर्ष 2004 डूरंड कप फाइनल में एक दूसरे से भिड़ी थीं, जिसमें ईस्ट बंगाल ने 2-1 से यह मैच जीत ली थी और मोहन बागान को हार मिली थी। लेकिन इस बार मोहन बगान कोई मौका नहीं चूका और बेहतर खेल का प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया।
रोमांच से भरपूर रहा मैच
यह मैच काफी रोमांचित रहा। मोहन बागान की टीम कुछ अंक से पिछड़ रही थी। ऐसा लग रहा था कि मैच हार जाएगी लेकिन 71वें मिनट में दिमित्री पेट्राटोस ने शानदार खेल दिखाते हुए एकल प्रयास से निर्णायक गोल कर दिया और ईस्ट बंगाल के गोलकीपर प्रभसुखन सिंह गिल मूकदर्शक बने रहें। यह मोहन बागान का 17वां डूरंड कप खिताब था। उन्होंने आखिरी बार 2000 में खिताब जीता था जब उन्होंने महिंद्रा यूनाइटेड को गोल्डन गोल से हराया था।
इस तरह बढ़ते गया रोमांच
मैच में जैसे-जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे ईस्ट बंगाल के कोच कार्ल्स कुआड्राट ने बदलाव करते गए। इस दौरान उन्होंने तीन बदलाव किए और समानता बहाल करने के लिए अंतिम 10 मिनट में निशु कुमार, वीपी सुहैर और एडविन वैनस्पॉल को शामिल किया। मोहन बागान के उनके समकक्ष जुआन फेरांडो ने अपने बचाव में आठ खिलाड़ियों को लगाया और बीच में अनवर अली ने शानदार प्रदर्शन किया।
तीखी नोकझोंक भी हुई
मैच में तीखी नोकझोंक भी देखने को मिला। ईस्ट बंगाल के सहायक कोच डिमास डेलगाडो की फेरांडो के साथ पहले नोकझोंक हुई। इसके बाद बहस और उसके बाद मामला हाथापाई तक जा पहुंचा। इसके बाद दूसरे हाफ के अतिरिक्त समय में डिमास डेलगाडो को लाल कार्ड मिला।
86वें मिनट में क्या हुआ
मैच में 86वें मिनट काफी खास रहा। इस दौरान एडविन वानस्पॉल ने बॉक्स के बाहर से लक्ष्य पर शॉट लगाने का प्रयास किया, लेकिन अनवर अली ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, और समय पर ब्लॉक करके ईस्ट बंगाल को बराबरी का कोई मौका नहीं दिया और मोहन बागान ने 2004 के डूरंड कप फाइनल में ईस्ट बंगाल से मिली हार का बदला ले लिया, जब वे 1-2 से हार गए थे।
भारत में फुटबॉल का प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है डुरंड कप
भारत में डुरंड कप फुटबॉल का प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है। यह एशिया की सबसे पुरानी फुटबॉल प्रतियोगिता है। ऐसे में इसके महत्व को आप समझ सकते हैं। यह टूर्नामेंट 3 अगस्त से 3 सितंबर तक आयोजित किया गया, जिसमें कुल 24 टीमों ने भाग लिया था।
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पहली बार वर्ष 1888 में शिमला में हुआ था मैच
भारत में डूरंड कप का आयोजन वर्ष 1888 में शिमला में आयोजित की गई थी। यह टूर्नामेंट एशिया में सबसे पुराना मौजूदा क्लब फुटबॉल टूर्नामेंट और दुनिया में पांचवां सबसे पुराना राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता है। डूरंड कप को डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह एक वार्षिक घरेलू फुटबॉल प्रतियोगिता है। यह टूर्नामेंट वर्तमान में भारतीय फुटबॉल सीजन के लिए ओपनर के रूप में कार्य करता है।
इस तरह से पड़ा डूरंड कप का नाम
इस टूर्नामेंट का नाम इसके संस्थापक हेनरी मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया है, जो 1884 से 1894 तक भारत के विदेश सचिव थे। इसे पहली बार भारत और रियासतों के सशस्त्र बलों के विभिन्न विभागों और रेजिमेंटों के लिए एक फुटबॉल टूर्नामेंट के रूप में शुरू किया गया था।