सेंट्रल डेस्क। First American Private Moon Mission : दिसंबर 1972 में अपोलो 17 के बाद से अमेरिका ने कभी चंद्रमा पर उतरने का दोबारा प्रयास नहीं किया है। मगर 1972 के बाद 2024 में 8 जनवरी को अपना पहला प्राइवेट Moon Mission किया, लैंडर फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से 2:18 बजे ईएसटी (7:18 जीएमटी) पर यूनाइटेड लॉन्च एलायंस के बिल्कुल नए रॉकेट वल्कन सेंटूर पर सवार होकर रवाना हुआ। लैंडर पर प्राथमिक कमांड डेटा यूनिट, थर्मल, प्रोपल्शन और पावर कंट्रोलर सहित सभी सिस्टम चालू हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे है।
Moon Mission : हुई ये गड़बड़ी
मिशन के फेल होने की शुरुआत एक प्रणोदन गड़बड़ी के कारण हुई, जिससे पेरेग्रीन के सौर पैनल को सूर्य की ओर उन्मुख करने और इसकी बैटरी को ऊपर रखने में असमर्थता हुई। इसने अंतरिक्ष यान के बाहरी हिस्से को भी नुकसान पहुंचाया है। इसके बाद, लैंडर के ईंधन टैंक में रिसाव होने लगा, जिससे यह चंद्रमा पर उतरने के लिए पर्याप्त ईंधन नहीं बचा सकेगा। एस्ट्रोबोटिक ने अंततः मिशन को रद्द कर दिया और पेरेग्रीन को पृथ्वी पर वापस लाने का प्रयास करने का फैसला किया है।
Moon Mission : मानव यान भेजने की योजना को झटका
मिशन के फेल होने से अमेरिका की चंद्रमा पर मानव को भेजने की योजना को भी बड़ा झटका लगा है। एस्ट्रोबोटिक का पेरेग्रीन लैंडर, नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रहरी (स्काउट) के रूप में काम करने वाला था।
Moon Mission फेल होने के कारणों की जांच अभी भी चल रही है। एस्ट्रोबोटिक ने कहा है कि वह जल्द से जल्द मिशन के कारणों का पता लगाने और भविष्य के मिशनों के लिए सुधार करने की योजना बनाएंगे।
मिशन के फेल होने के कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं
• निर्माण में खराबी
• कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर में समस्या
• अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में लैंडर की विफलता
Moon Mission फेल होने से निजी कंपनियों द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण में निवेश करने की संभावनाओं पर भी सवाल उठ सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह पहला ऐसा मामला नहीं है जब एक प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन फेल हुआ है। इससे पहले, स्पेसएक्स का ड्रैगन 2 कैप्सूल दो बार परीक्षण उड़ानों के दौरान फेल हो चुका है।
अंततः, एस्ट्रोबोटिक की जांच के परिणामों पर यह निर्भर करेगा कि मिशन के फेल होने के लिए कौन से कारक जिम्मेदार थे। लेकिन, इस घटना से पता चलता है कि अंतरिक्ष अन्वेषण अभी भी एक जोखिम भरा व्यवसाय है।
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