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मैं एक्टर नहीं होता, तो अंडरवर्ल्ड में होता : नाना पाटेकर

by Reeta Rai Sagar
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एंटरटेनमेंट डेस्क : फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर की दमदार एक्टिंग की जितनी तारीफ होती है, उतनी ही चर्चा उनके गुस्से की भी होती है। नाना यह खुद मानते हैं कि यदि वो फिल्मों में नहीं होते, तो एक डॉन होते। नाना पाटेकर ने अपने गुस्से के बारे में बात करते हुए कहा है कि मैं बहुत हिंसक हूं और कई लोगों को पीटा भी है। उन्होंने कहा कि एक्टिंग ने मुझे आउटलेट दी है, मैं अगर एक्टिंग नहीं कर रहा होता तो अंडरवर्ल्ड में होता और मैं ये मजाक में नहीं कह रहा हूं।

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनमें पहले की तुलना में अभी काफी बदलाव आ चुका है, लेकिन अगर कोई उन्हें जबरदस्ती गुस्सा दिलाए, तो मैं उसकी पिटाई कर देता हूं। कई बार नाना पाटेकर की शूटिंग के दौरान सेट पर झगड़ा करने की बात भी सामने आई है।

आज नाना के पास सबकुछ है, लेकिन एक वक्त वो भी था, जब एक टाइम का खाना भी बड़ी बात थी। अपने बचपन के संघर्ष भरे दिनों को याद करते हुए नाना कहते हैं, कि वे बेहद कम उम्र में ही बड़े हो गए थे। मात्र 13 वर्ष में ही एक्टिंग कॅरियर की शुरूआत करने वाले नाना 9 क्लास के समय से ही नौकरी कर रहे हैं। नोकरी में उन्हें एक वक्त का भोजन और 35 रुपये की सैलरी मिल जाती थी।

हालात आपकी उम्र तय करते हैं, लेकिन मैंने कभी भी अपने हालात को अपनी उम्र तय करने नहीं दिया। नाना कहते हैं, 18-19 साल की उम्र में मुझे सिर्फ हंसी-ठिठोली सूझती थी और मौत से मुझे डर नहीं लगता। एक दिन तो मर ही जाना है। बड़ा बुरा लगता है, कितने एक्टर तो चले गए। फिर सोचता हूं, मैं भी चला जाऊंगा।

माता-पिता का हाथ होना सबसे बड़ी बात है। नाना ने बताया कि उनसे किसी ने पूछा कि सबसे अच्छी सुगंध किसकी होती है, तो उन्होंने कहा रोटी की। क्योंकि, जब पेट खाली हो तो हम फूल देख ही नहीं पाएंगे।

गौरतलब है कि नाना ने 50 से अधिक फिल्मों में काम किया है। उनकी लोकप्रिय फिल्मों में तिरंगा, परिंदा, क्रांतिवीर, शक्ति, सलाम बॉम्बे, प्रहार, वेलकम और यशवंत जैसी फिल्में हैं। हाल ही में उन्होंने उत्कर्ष शर्मा के साथ ‘वनवास’ फिल्म में काम किया, जिसका निर्देशन अनिल शर्मा ने किया।

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