Jharkhand : नवरात्रि केवल पूजा-पाठ और उपवास का पर्व नहीं, बल्कि यह शक्ति, स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक भी है। आयुर्वेद में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को नौ विशिष्ट औषधीय पौधों से जोड़ा गया है, जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
- शैलपुत्री – हरड़ (हरितकी)
मां दुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री, हरड़ (हरितकी) औषधि से जुड़ा है।
गुण
पाचन तंत्र सुधारती है
कब्ज नाशक
आयु वृद्धि करती है
यह सात प्रकार की होती है : पथ्या, अमृता, हेमवती आदि।
- ब्रह्मचारिणी – ब्राह्मी
मां ब्रह्मचारिणी का प्रतिनिधित्व करती है ब्राह्मी, जिसे बुद्धि और स्मरण शक्ति की देवी भी कहा जाता है।
गुण
मस्तिष्क को शक्ति देती है
रक्त विकार नाशक
मूत्र रोगों में उपयोगी
स्वर को मधुर बनाती है
- चंद्रघंटा – चंदू सुर (चमसूर)
मां चंद्रघंटा का संबंध है चमसूर से, जो धनिए जैसा पौधा है।
गुण
मोटापा कम करता है
हृदय रोग में लाभकारी
रक्त को शुद्ध करता है
शरीर में शक्ति बढ़ाता है
- कुष्मांडा – पेठा (कुम्हड़ा)
कूष्मांडा रूप को कुम्हड़ा (पेठा) औषधि से जोड़ा गया है।
गुण
वीर्यवर्धक
मानसिक शक्ति में वृद्धि
रक्त पित्त व गैस का नाशक
हृदय रोग में अत्यंत लाभकारी
- स्कंदमाता – अलसी
मां स्कंदमाता को दर्शाती है अलसी, जो कई रोगों की नाशक है।
गुण
वात, पित्त, कफ नाशक
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
त्वचा व जोड़ों के लिए लाभकारी
- कात्यायनी – मोइया
देवी कात्यायनी का संबंध है औषधीय पौधे मोइया से।
गुण
कफ, पित्त और गले के रोगों में उपयोगी
गले की खराश, सर्दी-जुकाम में लाभकारी
श्वसन तंत्र को मजबूत करती है
- कालरात्रि – नागदौन
मां कालरात्रि से जुड़ी है नागदौन, जो एक शक्तिशाली औषधि है।
गुण
मानसिक तनाव व मस्तिष्क विकार दूर करती है
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है
संक्रमण रोधी प्रभाव
- महागौरी – तुलसी
महागौरी का संबंध है तुलसी से, जो भारतीय संस्कृति में पूज्यनीय है।
गुण
हृदय रोगों में लाभदायक
रक्त शुद्ध करती है
रोगनाशक
सात प्रकार की तुलसी मानी गई हैं : सफेद, काली, मरुता, दवना आदि।
- सिद्धिदात्री – शतावरी
नवम स्वरूप सिद्धिदात्री को दर्शाती है शतावरी औषधि।
गुण
बल, बुद्धि और विवेक में वृद्धि
प्रजनन स्वास्थ्य के लिए उपयोगी
हार्मोन संतुलन में सहायक
शारीरिक और मानसिक थकान दूर करती है