नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को बताया कि भारत ने वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खिलाफ अपने अभियान के तहत देश के छह जिलों को उग्रवाद के प्रभाव से मुक्त कर दिया है। इससे वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर अब सिर्फ छह रह गई है। यह सरकार के नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे कड़े प्रयासों का एक अहम कदम है।
वामपंथी उग्रवाद खत्म करने को सरकार प्रतिबद्ध
अमित शाह ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “नक्सल मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, हमने वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या को 12 से घटाकर 6 कर दिया है। मोदी सरकार नक्सलवाद के प्रति एक दृढ़ और निरंतर दृष्टिकोण के साथ भारत को सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। हम 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए संकल्पित हैं।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, देश के 38 जिलों में से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। पहले जहां सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 थी, अब यह घटकर छह हो गई है। इसी तरह, चिंताजनक जिलों की संख्या भी नौ से घटकर छह हो गई है, और अन्य प्रभावित जिलों की संख्या 17 से घटकर छह रह गई है।
वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिले
नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में छत्तीसगढ़ के बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम, और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल हैं। इन जिलों में अब सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के कारण स्थिति में सुधार हुआ है।
चिंताजनक जिलों और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सुधार
चिंताजनक जिलों की संख्या भी छह तक सीमित हो गई है, जिनमें आंध्र प्रदेश का अल्लूरी सीताराम राजू, मध्य प्रदेश का बालाघाट, ओडिशा के कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी, और तेलंगाना का भद्राद्री-कोठागुडेम शामिल हैं। वहीं, अन्य प्रभावित जिलों में भी कमी आई है। इनमें छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, झारखंड का लातेहार, ओडिशा का नुआपाड़ा, और तेलंगाना का मुलुगु शामिल हैं।
वित्तीय सहायता और विशेष योजनाएं
सरकार ने इन प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) के तहत क्रमशः 30 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी है। इसके अलावा, इन जिलों में आवश्यकतानुसार विकास परियोजनाएं भी चल रही हैं, जैसे कि सड़कों का विस्तार, परिवहन सुविधाएं, पानी, बिजली और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुंचाना।