Home » नीतीश की केंद्र सरकार को चेतावनी: विशेष राज्य का दर्जा दें, वरना पूरे बिहार में करेंगे आंदोलन

नीतीश की केंद्र सरकार को चेतावनी: विशेष राज्य का दर्जा दें, वरना पूरे बिहार में करेंगे आंदोलन

by Rakesh Pandey
नीतीश की केंद्र सरकार को चेतावनी
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

पॉलिटिकल डेस्क, पटना। पटना के बापू सभागार में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश ने एक बार फिर से स्पेशल स्टेटस की मांग दोहरायी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को केंद्र सरकार के खिलाफ पूरे बिहार में अभियान चलाने की भी बात कही। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा, “हम केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि सबके विकास और उत्थान के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि 2 साल में सबका उत्थान हो सके।“ बिहार को लेकर नीतीश कुमार ने आगे कहा कि बिहार दुनिया में सबसे आगे था, लेकिन अब पीछे हो गया है, तो केंद्र को जल्द ही विशेष राज्य का दर्जा देना चाहिए, ताकि फिर से बिहार आगे बढ़ जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता, तो प्रदेश का काफी विकास होता। अभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं का अनपात 60: 40 है। इससे राज्य को कोई फायदा नहीं। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से हमें राशि की बचत होगी। दूसरे काम होंगे। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मांग को नहीं मानती है, तो वह इसके लिए आंदोलन खड़ा करेंगे।

हमें प्रचार से नहीं, लोगों के काम से मतलब
केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग काम नहीं करते हैं, अपना खूब प्रचार करते हैं। हमें तो लोगों के काम से मतलब है, प्रचार से नहीं। हम तो सभी लोगों के हित में काम करते हैं। किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम काम करते रहेंगे। दिल्ली वाला कोई काम नहीं कर रहा।

आरक्षण बढ़ाने की मांग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जाति आधारित गणना की विधानमंडल में पेश रिपोर्ट के बाद सरकार द्वारा आरक्षण बढ़ाए जाने के निर्णय पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए गया है। हमें पता था कि वह बाहर गए हैं, लेकिन आज यह मालूम हुआ कि वह आ गए हैं। हम उनसे आग्रह करेंगे कि आज ही हस्ताक्षर कर दें।

बिहार के लोगों के लिए कई दशकों पुराना है यह मुद्दा
गौरतलब है कि बिहार को विशेष राज्य की मांग, यहां के लोगों के लिए कई दशकों पुराना मुद्दा है। साल 2012 में जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बिहार की मांग पर केंद्र सरकार ने अंतरमंत्रालयी कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया था, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहा था कि उक्त रिपोर्ट को फाड़कर डस्टबीन में फेंक देना चाहिए। विशेष राज्य के मसले पर उन्होंने आंदोलन के तहत दिल्ली के रामलीला मैदान को भरने की बात भी कही थी। यह मसला बिहार के लोगों के लिए कई दशकों पुराना है, जिसे फिर परवान देने की बात हुई है। नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र से तो हम लगातार विशेष राज्य का दर्जा देने का आग्रह कर रहे हैं। हम लोगों की मदद कर रहे हैं। अभी और भी बहुत से लोगों को मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिहार को जल्द से जल्द केंद्र सरकार विशेष राज्य दर्जा देने का काम करे। विशेष राज्य का दर्जा बिहार को मिलेगा, तो बिहार आगे बढ़ेगा।

‘एक नंबर का जूता, हर पैर में फिट नहीं होता’
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के तर्कों पर नीतीश कुमार का यह स्लोगन भी खूब चर्चा में था कि हर पांव में एक ही नंबर का जूता नहीं होता। यह विशेष राज्य के दर्जे को लेकर तय शर्तें के केंद्र में था। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग योजना आयोग की तत्कालीन सदस्य सुधा पिल्लई की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने खारिज कर दी थी। तब उन्होंने यह कहा था कि विकास का यह पैमाना देखा जाए कि कौन-सा राज्य समृद्धि के मामले में राष्ट्रीय औसत से किस तरह दूर है।

देश के 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त
वर्तमान में देश में 11 राज्य ऐसे हैं, जिन्हें विशेष दर्जा प्राप्त है। कांग्रेस की सरकार ने इन्हें अलग-अलग समय दिया। इनमें जम्मू कश्मीर, असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड शामिल हैं।

विशेष राज्य मिलने के बाद ये होंगे फायदे
विशेष राज्य के दर्जा का फायदा यह होता है कि राज्य में चलने वाली केंद्र की योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी अधिक हो जाती है। केंद्र से वित्तीय मदद मिलती है। उद्योगों को कर में रियायत भी मिलती है। इनमें उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क व कारपोरेट टैक्स आदि शामिल हैं। बिहार के मुख्यमंत्री ने पहली बार 2006 में यह मांग उठाई थी, लेकिन केंद्र में लगातार सरकारों ने इसे अनसुना कर दिया। कई बार चुनावी माहौल में इस मांग को दोहराया गया है, लेकिन अभी तक यह अमल में नहीं आ सका है। बिहार की सरकारें और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर कई बार मतभेद भी देखे गए हैं।

READ ALSO :

भाजपा ने राजस्थान के वोटरों को रिझाने के लिए घोषणापत्र में 450 में सिलेंडर और फ्री स्कूटी का किया एलान

Related Articles