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खालिस्तानी एक्टिविस्ट निज्जर की हत्या में भारत का कोई पुख्ता संबंध नहीं : कनाडाई रिपोर्ट

123 पन्नों की रिपोर्ट 'पब्लिक Inquiry इनटू फॉरेन इंटरफेरेंस इन फेडरल इलेक्टोरल प्रोसेसिज एंड डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशन्स' में इस बात का खुलासा किया गया है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कुछ भारतीय एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद, कनाडा की एक आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि निज्जर की हत्या में किसी विदेशी राज्य से निर्धारित लिंक साबित नहीं हुआ है।

कनाडा ने पेश की 123 पन्नों की रिपोर्ट

मंगलवार को जारी 123 पन्नों की रिपोर्ट ‘पब्लिक Inquiry इनटू फॉरेन इंटरफेरेंस इन फेडरल इलेक्टोरल प्रोसेसिज एंड डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशन्स’ में इस बात का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में भारतीय सरकार पर कनाडाई चुनावों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया गया था, जिसे भारत ने खारिज किया।

विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट के संदर्भ में कहा, ‘हमने कथित गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट देखी है। दरअसल, यह कनाडा है जो लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। इससे अवैध इमिग्रेशन और संगठित अपराध गतिविधियों का माहौल बन गया है। हम भारत के खिलाफ रिपोर्ट में की गई आक्षेपों को खारिज करते हैं और आशा करते हैं कि अवैध इमिग्रेशन को समर्थन देने वाली प्रणाली को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा’।

भारत-कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंध

कनाडा और भारत के बीच रिश्तों में उस समय खटास आ गई, जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कनाडा के पास भारतीय सरकार के एजेंटों के इस हत्या में शामिल होने के सबूत हैं। भारत ने इस आरोप को ‘निराधार’ करार देते हुए इसे सख्ती से नकारा।

बता दें कि हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक रिश्तों में खटास आई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को अपने-अपने देशों से निष्कासित किया। रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में कनाडा से छह भारतीय राजनयिकों के निष्कासन का भी उल्लेख किया गया है। इस पर भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया और अपने उच्चायुक्त की वापसी की घोषणा की।

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