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बीएचयू में अब पढ़ाया जायेगा प्राचीन काशी के मंदिरों, त्योहारों और सामाजिक यात्राओं का पाठ

by Rakesh Pandey
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वाराणसी : राज्य की कला व संस्कृति के संरक्षण व उसके विकास को लेकर देश के प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अब विद्यार्थियों को उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर काशी (वाराणसी) के बारे में पढ़ाया जायेगा। ‘काशी स्टडीज’ को पीजी पाठ्यक्रम के तौर पर तैयार किया गया है। कोर्स अगले सत्र से शुरू किया जायेगा। काशी स्टडीज कोर्स में प्राचीन शहर के इतिहास, त्योहार, मेले, संस्कृति, धार्मिक महत्त्व, रहन-सहन, घाट, मंदिर, राजनीतिक और सामाजिक यात्रा के साथ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को शामिल किया गया है।

सोशल स्टडीज के पूर्व डीन प्रो कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि हाल ही बीएचयू की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छह नये कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इनमें ‘काशी स्टडीज’ भी शामिल है। यह इतिहास विभाग का सेल्फ फाइनेंस कोर्स है।

सेल्फ फाइनेंस कोर्स

काशी स्टडीज कोर्स तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रो कौशल किशोर मिश्रा के मुताबिक एकेडमिक काउंसिल की ओर से अनुमोदित अन्य नये पाठ्यक्रमों में मालवीय अध्ययन, डायस्पोरा और वैश्विक अध्ययन, विज्ञान और विज्ञान नीति का इतिहास, एशियाई अध्ययन, अभिलेखीय अध्ययन के साथ प्रबंधन भी शामिल है। सभी कोर्स सेल्फ फाइनेंस होंगे।

वैश्विक स्तर पर महत्त्व बढ़ा

प्रो मिश्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर काशी का महत्त्व बढ़ा है। धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में भी इसके प्रति रुचि बढ़ी है। लोग काशी के बारे में जानना चाहते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए स्पेशलाइज्ड कोर्स के रूप में ‘काशी स्टडीज’ तैयार किया गया।

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एक नजर बीएचयू के बारे में :

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सीखने का एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठिान है, जो वाराणसी में स्थित है। इस रचनात्मक और अभिनव विश्वविद्यालय की स्थापना महान राष्ट्रवादी नेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में डॉ एनी बेसेंट जैसी महान हस्तियों के सहयोग से की थी, जिन्होंने इसे भारत विश्वविद्यालय के रूप में माना। संसदीय विधान के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय था बीएचयू अधिनियम 1915- 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीयजी द्वारा स्थापित, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय देश के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है।

विश्वविद्यालय को एक आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में कल्पना की गयी थी, जो कि संपूर्ण चरित्र विकास और छात्रों के संपूर्ण मार्गदर्शन के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया गया था। आज यह विश्वविद्यालय अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है।

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