सेंट्रल डेस्कः सोमवार को तिरूपति तिरूमाला देवस्थानम ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत गैर हिंदू कर्मचारियों की छुट्टी हो सकती है। हालांकि उन्हें वीआरएस का विकल्प दिया जाएगा। बोर्ड में काम करने वाले गैर हिंदूओं को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में ट्रांसफर का ऑप्शन दिया जाएगा। टीटीडी द्वारा लिए गए इस निर्णय की पुष्टि स्वयं टीटीडी के अध्यक्ष बी आर नायडू ने की है।
अन्य विभागों में ट्रांसफर का ऑप्शन
खबरों की मानें तो टीटीडी द्वारा लिए गए इस फैसले का कई कर्मचारी संघ ने समर्थन किया है। टीटीडी के अध्यक्ष बी आर नायडू ने गवर्निंग काउंसिल की 54वीं बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर बात करते हुए जानकारी दी और कहा कि टीटीडी में कार्यरत गैर हिंदू कर्मचारियों के विषय में उनसे चर्चा की जाएगी। यदि वे स्वैच्छिक सेवानिवृत का विकल्प चुनते है, तो यह विकल्प उनके लिए खुला है, वरना आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में भी उनको ट्रांसफर किया जा सकता है।
लड्डू विवाद पर क्या कहा टीटीडी अध्यक्ष ने
इसके साथ ही नायडू ने यह भी बताया कि श्रीनिवास सेतु का नाम बदलकर गरूड़ वरधी रखा गया है और मुमताज होटल के लिए प्रस्तावित जमीन के लिए भी टीटीडी राज्य सरकार से निवेदन करेगी, कि वह इस सरकारी जमीन को टीटीडी को ट्रांसफर कर दें। नायडू ने बीते महीने उठे लड्डू विवाद पर भी बात की।
तिरूपति प्रसादम विवाद पर टीटीडी के अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्तूबर को हस्तक्षेप करते हुए लड्डुओं में पाए गए जानवरों की चर्बी वाले घी की जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी (एसआईटी) का गठन किया था। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनियाभर के करोड़ों भक्तों की आस्था तिरूपति तिरूमाला प्रसादम से जुड़ी है। हम नहीं चाहते कि यह एक राजनीतिक घटनाक्रम में तब्दील हो जाए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
शीर्ष अदालत द्वारा निर्मित एसआईटी में केंद्रीय जांच ब्यूरो के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। टीटीडी अध्यक्ष ने बताया कि बीते कुछ सालों में टीटीडी अधिनियम में तीन बार संशोधन किया गया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मंदिर बोर्ड और उसके संबद्ध संस्थानों द्वारा केवल हिंदुओं को नियोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने 1989 में जारी एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि टीटीडी द्वारा संचालित पदों पर केवल हिंदुओं की ही नियुक्तियां की जाएंगी।
मंदिर ट्रस्ट राजनीति औऱ भाषणों से दूर
इसके अलावा बैठक में यह भी तय किया गया कि मंदिर ट्रस्ट को राजनीति और भाषणों से दूर रखा जाएगा। इतना ही नहीं इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है, जो इन नियमों को तोड़ता है, उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए प्रत्येक माह के पहले मंगलवार को विशेष दर्शन का अवसर दिया जाएगा। ट्रस्ट के विलय के संबंध में जानकारी देते हुए नायडू ने बताया कि श्रावणी ट्रस्ट का विलय अन्य ट्रस्ट में कर दिया गया है।
अंत में टीटीडी कर्मचारियों को ब्रह्मोत्सव पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है। अध्यक्ष बी.आर. नायडू ने इन निर्णयों के माध्यम से टीटीडी की कार्यप्रणाली में सुधार होने की और भक्तों के लिए व्यवस्था को सुगम होने की उम्मीद जताई है।