Palamu (Jharkhand) : पलामू जिले में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन के खिलाफ युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है। शनिवार को बड़ी संख्या में युवाओं ने एकजुट होकर इस विज्ञापन पर विरोध जताया। उनकी मुख्य मांग है कि भर्ती जिला स्तर पर की जाए, विज्ञापन में जरूरी सुधार किए जाएं, परीक्षा का आयोजन हो, सिलेबस निर्धारित किया जाए और सबसे महत्वपूर्ण रूप से स्थानीय अभ्यर्थियों को पूर्ण प्राथमिकता दी जाए। इस सिलसिले में युवाओं ने शनिवार को पलामू के उपायुक्त (Deputy Commissioner) को एक ज्ञापन भी सौंपा।
बर्खास्त अनुसेवकों ने भी उठाई आवाज
वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बर्खास्त किए गए जिले के 251 अनुसेवकों (Class IV employees) ने भी अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है। इन अनुसेवकों ने सरकार से उन्हें समायोजित करने की गुहार लगाई है। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर 16 जून को रैली निकालकर प्रदर्शन करने और फिर धरना देने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्यमंत्री का भी घेराव करने की बात कही है। शनिवार को बर्खास्त अनुसेवकों ने भी अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
विज्ञापन में कमियां गिनाईं
युवाओं का नेतृत्व कर रहे सत्यनारायण शुक्ला ने ज्ञापन के माध्यम से चतुर्थवर्गीय कर्मचारी भर्ती विज्ञापन में कई कमियां बताई हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान विज्ञापन से स्थानीय अभ्यर्थियों के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उनकी प्रमुख मांग है कि पलामू जिले के युवाओं को इस भर्ती में पूर्ण वरीयता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान विज्ञापन में अन्य जिलों के लोगों को भी आवेदन करने की अनुमति दी गई है, जबकि यह भर्ती विशेष रूप से पलामू जिले के अंतर्गत पदों के लिए है। सत्यनारायण ने तर्क दिया कि यदि राज्य के अन्य 23 जिलों के अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे पलामू के स्थानीय युवाओं का हक मारा जाएगा। इसलिए, उनकी मांग है कि इस भर्ती में केवल पलामू के स्थानीय निवासियों को ही आवेदन करने की अनुमति दी जाए।
सिलेबस स्पष्ट करने की मांग
युवाओं ने विज्ञापन में विज्ञान विषय के सिलेबस को स्पष्ट रूप से उल्लेखित करने की भी मांग की है। उनका कहना है कि किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए सिलेबस का स्पष्ट होना अत्यंत आवश्यक है, जबकि नए विज्ञापन में सिलेबस का कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया गया है।
लिखित परीक्षा की अनिवार्यता पर जोर
पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए युवाओं ने लिखित परीक्षा को अनिवार्य करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि पहले की नियुक्तियों में भी परीक्षा के माध्यम से ही चयन किया जाता था, जिससे योग्यता के आधार पर निष्पक्ष चयन हो सके। युवाओं ने मांग की है कि इस विज्ञापन को संशोधित कर पुनः प्रकाशित किया जाए ताकि सभी पात्र स्थानीय युवाओं को अवसर मिल सके।