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police negligence : बच्ची के अपहरण के मामले में हुई चौंकाने वाली लापरवाही, रेल पुलिस ने बच्ची की वास्तविक मां को अपहरणकर्ता बता कर भेज दिया जेल

डीएनए टेस्ट से हुआ मामले का खुलासा, अब नए सिरे से की जा रही जांच

by Mujtaba Haider Rizvi
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सेंट्रल डेस्क : उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। इसमें पुलिस ने एक महिला हिना चौहान को उसी की बच्ची के अपहरण के आरोप में जेल भेज दिया। दरअसल, जीआरपी ने एक बच्ची को चोरी हुई बच्ची मानते हुए महिला को गिरफ्तार किया, जबकि सच्चाई यह थी कि वो बच्ची महिला की अपनी ही बेटी थी। मामले का खुलासा तब हुआ जब बच्ची और उसकी मां व एक अन्य महिला का डीएनए टेस्ट कराया गया। बच्ची का डीएनए जेल गई महिला से मेल खा गया इससे साबित हो गया कि जिस महिला को पुलिस ने बच्ची के अपहरण के आरोप में जेल भेजा है वही महिला इस बच्ची की असली मां है। इस मामले ने पुलिस की लापरवाही और जांच में हुई गंभीर गलती को उजागर किया है। मथुरा के रेल एसपी का कहना है कि पूरे मामले की जांच होगी। दोषी रेल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मथुरा रेलवे जंक्शन से गायब हुई थी बच्ची


यह मामला जनवरी 2023 का है, जब मथुरा जंक्शन से ढाई साल की बच्ची का अपहरण हुआ था। इस घटना के बाद, बच्ची की मां फूलवती ने जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। लगभग 9 महीने बाद, अक्टूबर 2023 में पुलिस ने एक भिक्षावृत्ति से जुड़ा गिरोह पकड़ लिया और दावा किया कि उन्होंने चोरी हुई बच्ची को बरामद कर लिया है। इस दौरान पुलिस ने इस बच्ची को महिला की गायब बच्ची बताकर उसे आरोपी गिरोह के सदस्यों के कब्जे से बरामद करने का दावा किया था। यह बच्ची हिना चौहान नामक महिला के पास से बरामद की गई थी।

पुलिस का अड़ियल रवैया


लेकिन जब हिना चौहान ने पुलिस से कहा कि यह बच्ची उसकी अपनी ही बेटी है, तो जीआरपी ने उसकी एक भी नहीं सुनी और उसे अपहरण के आरोप में जेल भेज दिया। महिला का कहना था कि यह बच्ची उसकी ही है, लेकिन पुलिस ने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पुलिस ने फूलवती से पूछताछ की, तो उसने भी इस बच्ची को अपनी बेटी बताया। इस तरह दोनों महिलाएं, फूलवती और हिना चौहान, दावा करने लगीं कि यह बच्ची उनकी है।

डीएनए टेस्ट से खुलासा


मामला बढ़ने के बाद, पुलिस ने दोनों महिलाओं के सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए भेजे। इस परीक्षण के बाद रिपोर्ट आई कि बच्ची के डीएनए से हिना चौहान के डीएनए का मिलान हुआ है। इसका मतलब यह है कि वह बच्ची जिसे पुलिस ने बरामद किया वह हिना चौहान की है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी चूक पुलिस की जांच प्रक्रिया में हुई थी। हिना चौहान 15 महीने तक बेगुनाह होते हुए जेल में बंद रही। उसे यह साबित करने का मौका ही नहीं मिला कि वह निर्दोष है। पुलिस की लापरवाही की वजह से एक महिला को सालों तक जेल में रहना पड़ा, जबकि असली अपहरण की घटना अब तक सुलझ नहीं पाई है।

फूलवती की बच्ची का क्या हुआ?


अब सवाल यह उठता है कि फूलवती की असली बच्ची कहां है? जीआरपी की लापरवाही के कारण अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। जांच के दौरान यह साफ नहीं हो पाया कि 7 जनवरी 2023 को जब फूलवती ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था, तब असली बच्ची कहां थी। इस मामले में राजकीय रेलवे पुलिस अब एक नई जांच टीम गठित करेगी, जो यह पता लगाएगी कि फूलवती की बच्ची का क्या हुआ और वह कहां है।

नई जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया


एसपी जीआरपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि पुलिस विभाग ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है। साथ ही, मामले की नई जांच शुरू की जाएगी ताकि असली बच्ची का पता चल सके और खोई हुई बच्ची को ढूंढा जा सके। साथ ही, एसपी ने यह भी कहा कि यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की ओर इशारा करता है, ताकि भविष्य में इस तरह की गलती न हो।

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